कानपुर जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी की दूरी पर बिकरु गांव है। इसी गांव में गुरुवार रात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे उर्फ पंडितजीको पकड़ने गई पुलिस टीम पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। इसमें डीएसपी बिल्हौर समेत आठ पुलिसकर्मियों की जान गई। लेकिन, इस रात बिकरु गांव में ऐसा क्या हुआ? यह अभी तक रहस्य बना हुआ है। दैनिक भास्कर की पड़ताल में अब यह सामने आ गया है कि गुरुवार दोपहर सेइस विवाद के अंत की स्क्रिप्टलिखने कीशुरुआत हो गई थी,जोरात 1 बजे तक 8 पुलिसवालों की मौत के बाद खत्म हुई। एक रिपोर्ट...
विकास ने चौबेपुर थानाध्यक्ष के साथ की थी बदसलूकी
पड़ोसी गांव जादेपुर केराहुल तिवारी ने एक जुलाई को बिकरु गांव के विकास दुबे के खिलाफ अपहरण, जान से मारने काप्रयास करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी।बिकरुगांव में घूमने के बाद स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, गुरुवार दोपहरचौबेपुर थानाध्यक्ष विनय तिवारी अपने तीन सिपाहियों के साथ विकास दुबे के पास मामले की जानकारी लेने पहुंचे थे।
बताया जाता है कि इस दौरान विकास नाराज होगया और उसने चौबेपुर थानाध्यक्ष से बदसलूकी भी की थी। जिसके बाद चौबेपुर थानाध्यक्ष ने इसकी शिकायत अपने आलाधिकारियों से की। विकास कई दिनों से पुलिस की हिट लिस्ट में शामिल था। इस घटना के बाद पुलिस अधिकारियों का भी पारा चढ़ गया और इसे दबोचने की प्लानिंग शुरू हो गई।
विकास को दबिश कीसूचना मिल गईथी
सूत्र बताते हैं कि गुरुवारशाम तक विकास दुबे को सूचना मिल गईथी कि पुलिस उसे पकड़ने आने वाली है। उसने अपने कई शुभचिंतकों से बात की,जिसके बाद उसे यही सलाह मिली कि घर में ही रहे। बाहर पकड़ा गया तो एनकाउंटर हो सकता है। उसे यह भी सलाह दी गईकि पुलिस टीम में आलाधिकारी रहेंगे। उनसे बात कर समझौता या सरेंडर भी कर सकता है। विकास ने इसी हिसाब से अपनी प्लानिंग पर काम शुरू कर दिया था।
रात 9 बजे बीच रास्ते में खड़ी की गईजेसीबी, अपने आदमियों को सतर्क रहने को कहा
पुलिस रेड की सूचना मिलने के बाद विकास प्लानिंग पर लग गया। गांववालों से बातचीत में पता चला कि रात 9 बजे जेसीबी बीच रास्ते में खड़ी करवाई गई। जेसीबी किराए पर मंगाई गई थी, जिससे पुलिसवाले गाड़ियां लेकरउसके घर तक नहीं पहुंच पाएं और अलग-अलग हिस्सों में बंट जाएं।
साथ ही अपनी छत और आसपास के घरों की छत पर उसने अपने आदमी असलहों के साथ बिठा दिए। जबकि, खुद घर के अहाते के पड़े तख्त पर अपने कुछ साथियों के साथ बैठकर पुलिस टीम का इंतजार करने लगा।
रात 12 बजे के आसपासतकरीबन 5 थानों की फोर्स बिल्हौर डीएसपी देवेंद्र कुमार के नेतृत्व में पहुंची। इस टीम में लगभग 25 से 35 लोग रहे होंगे। बीच सड़क जेसीबी देखदेवेंद्र कुमार का पारा चढ़ गया और वह जेसीबी के पास खड़े होकरविकास के घर की ओर देखकर चिल्लाने लगे। जेसीबी का मुंह विकास के ममेरे भाई शशिकांत के घर के सामने था।
वहीं,शिवराजपुर थानाध्यक्ष महेश चंद्र यादव सीधे विकास के अहाते में चले गए। वहां उनकी विकास से कहासुनी होने लगी। जब विकास के साथियों को लगा कि पुलिसवाले भारी पड़ रहे हैं तो विकास के इशारे पर उसके गुर्गों नेपुलिस पर चौतरफा गोलियां चलानी शुरू कर दी, जिसमें 8 पुलिसवालों की जान चली गई।
पुलिसवालों ने गांव में दरवाजे खटखटाए, लेकिन मदद नहीं मिली
जानकारी के मुताबिक, ताबड़तोड़ फायरिंग के बाद पुलिसवाले अलग-अलग ग्रुप्स में बंट गए। लेकिन, हमलावरों की संख्या ज्यादा थी। वे लाठी डंडों और असलहों से भीलैस थे। कहा तो यह भी जा रहा है कि कुछ पुलिसवालों को दौड़ा-दौड़ाकर लाठी डंडों से पीटा गया। इस दौरान उन्होंने भागकर गांववालों का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से भी उन्हें मदद नहींमिली।
करीब 3 गुर्गों के साथ बोलेरो से भागा है विकास
सूत्रों के मुताबिक, जब पुलिसवाले तितर-बितर हो गए तो विकासमौके का फायदा उठाकर अपने दो-तीन खास साथियों के साथ बोलेरो से फरार हो गया है। हालांकि, पुलिस उसे ढूंढने के लिए लगातार कॉम्बिंग कर रही है।
एसटीएफ कर रही है चौबेपुर थानाध्यक्ष से पूछताछ
स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मामले की जांच में लगी एसटीएफ चौबेपुर थानाध्यक्ष विनय तिवारी से भी पूछताछ कर रही है। यही नहीं एसटीएफ को शक है कि विकास के पास पुलिस रेड की सूचना भी विकास के कुछ करीबी पुलिसवालों ने ही पहुंचाई थी।
शिकायतकर्ता राहुल तिवारी भी हुआ फरार
शिकायतकर्ता राहुल तिवारी को जब खबर मिली कि विकास 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर फरार हो गया है तो इसके बाद ही राहुल भी अपने गांव जादेपुर से फरार हो गया। राहुल के परिजनको डर है कि कहीं विकास उसे भी मारने की कोशिश न करे।
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