सोमवार, 3 अगस्त 2020

हनुमान ही अयोध्या के सबसे बड़े चौकीदार; नींव पूजन के लिए 100 नदियों, कैलाश मानसरोवर और श्रीलंका के समुद्र का जल अयोध्या पहुंचा

अयोध्या का बच्चा-बच्चा मानता है कि हनुमानजी की बिना अनुमति के प्रधानमंत्री भी रामजी के दर्शन नहीं कर सकते। रामलला के दर्शन के पहले हनुमानगढ़ी आना जरूरी होता है। लाइव रिपोर्ट...

हनुमानगढ़ी की सीढ़ियों पर सुबह 4 बजे का अंधेरा पसरा है, लेकिन पुलिस के सजग जवान और मंदिर की खास महक एक अलग एहसास जगा रही है। पूरा शहर लाॅकडाउन में है। बाजार-दुकानें और इलाके बंद और सिर्फ मंदिर खुले। पुलिस का कड़ा पहरा है। मेरा प्रश्न है- इस समय कौन आएगा? पुलिस का जवान कहता है, कुछ लोग तो रात को ढाई बजे भी आ जाते हैं।

रामलला के दर्शन से पहले यहीं आना जरूरी होता है। ऐसा क्यों भला, प्रश्न सुनकर हनुमानगढ़ी के 16 वर्षीय किशाेर साधु राम अनुजदास बताते हैं- हनुमानजी प्रभु राम के चौकीदार होते हैं। हनुमानजी की आज्ञा लेने यहां आना पड़ता है। उनकी आज्ञा के बिना अयोध्या प्रवेश वर्जित है। प्रधानमंत्री का भी? हां, भगवान का भी!

एर्नाकुलम से आए एस. हरि प्रश्न करते हैं, लेकिन हनुमान जी तो सेवक हैं। वे क्यों रोकेंगे? बारह साल का एक अन्य साधु तपाक से कहता है, वे सच्चे राजा हैं, क्योंकि असली राजा वही होता है, जो सेवक का कर्तव्य निभाता है। वह बताते हैं, रामायण काल से ही हनुमानगढ़ी राम दर्शन का प्रवेश द्वार रहा है।

केरल के अरूर से आईं प्रतिभा राजेश कहती हैं, अभी हनुमानजी के दर्शन तो करने हैं, लेकिन उनकी तीर्थ यात्रा तो इन सीढ़ियों पर ही सफल हो गईं। ये छोटे-छोटे साधु कैसी बातें करते हैं। हम केरल से चले थे तो उत्तरप्रदेश की राजनीति और अयोध्या की खबरें सुनकर मन में डरे हुए से थे। लेकिन, यहां तो सब कुछ अलग सा है।

यहां राम भी मंदिरों में अकेले नहीं। हर जगह या तो उनका दरबार है या फिर बाकी सब देवता। कैसा समन्वय है। उनके चेहरे पर एक अलग तरह का सुकून है। बीकानेर से आया एक परिवार इसलिए संतोष मानता है कि आज राम मंदिर तो बंद हैं, लेकिन हनुमानजी के दर्शन तो हो गए!

राम मंदिर निर्माण के नींव पूजन कार्यक्रम की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा

अयोध्या में 5 अगस्त को होने वाले राम मंदिर निर्माण के नींव पूजन कार्यक्रम की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भूमि पूजन का पहला निमंत्रण श्रीरामलला विराजमान के चारों भाइयों और बाल हनुमान को दिया है।

ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने रविवार को बताया कि 5 अगस्त के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब ढाई घंटे रुकेंगे। 170 से 180 लोग आयोजन में भाग लेंगे। नींव पूजन के लिए दो रामभक्त राधेश्याम और त्रिफला 159 नदियों और 5 समुद्रों का जल लेकर अयोध्या पहुंचे हैं।

पूजन के दिन रामलला के लिए दो वस्त्र तैयार किए गए हैं

इन दोनों ने 1968 से 2019 तक इस जल को एकत्रित किया है। इसके अलावा कैलाश मानसरोवर और श्रीलंका के समुद्र का जल लेकर भी भक्त पहुंचे हैं। रामलला नवरत्न जड़ित हरे रंग की पोशाक में दिखेंगे भूमि पूजन के दिन रामलला के लिए दो वस्त्र तैयार किए गए हैं। इस दिन रामलला को हरे और केसरिया रंग के नवरत्न जड़ित वस्त्र पहनाए जाएंगे। रामा दल के अध्यक्ष पंडित कल्कि राम ने रामलला की चार पोशाक राममंदिर के पुजारी सत्येंद्र दास को सौंपी है।

सरयू के तट पर रामभक्तों का कीर्तन। अयोध्या में साधु-संत और राम भक्त उल्लास में सराबोर हैं।

एक ही प्रतिमा में श्री राम की बहन शांता और जीजा शृंग ऋषि के चेहरे

कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) अयोध्या में पांच अगस्त को राम मंदिर का भूमिपूजन है। इधर हिमाचल के बंजार गांव में विशेष उत्साह है। यहां एक मात्र स्थान है, जहां राम की बहन शांता का मंदिर है। एक प्रतिमा में उनके पति शृंग ऋषि और शांता के चेहरे हैं। मंदिर कुल्लू से 50 किमी दूर है। रक्षा बंधन पर बहनें यहां भाइयों की लंबी आयु का आशीर्वाद लेने आएंगी। शृंग ऋषि मंदिर के पुजारी जितेंदर शर्मा ने बताया कि 5 अगस्त को मंदिर में दीप यज्ञ और विशेष पूजन किया जाएगा।

दक्षिण की रामायण में उल्लेख

  • दक्षिण की रामायण में भगवान राम की बहन का उल्लेख है, जिनका नाम शांता था। वे चारों भाइयों से बड़ी थीं। शांता राजा दशरथ और कौशल्या की बेटी थीं।
  • मान्यता है कि दशरथ ने शांता को राजा रोमपद को सौंप दिया था, जिनकी पत्नी वर्षिणी कौशल्या की बहन थीं। शांता व शृंग की पूजा से राम की कृपा मिलती है।
  • शृंग ने दशरथ के लिए पुत्र कामेष्ठि यज्ञ किया, जिसके बाद राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न जन्मे। कुल्लू के पास बशिर गांव में अयोध्या के लोग बसे हैं। इन्हें जोधा (अयोध्या) वासी कहा जाता है।
प्रतिमा में ऊपर शृंग ऋषि और नीचे शांता देवी का चेहरा है।


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नींव पूजन के लिए दो रामभक्त राधेश्याम और त्रिफला 159 नदियों और 5 समुद्रों का जल लेकर अयोध्या पहुंचे हैं।


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