कृष्ण आनंद की धारा हैं। जब मन में कोई बेचैनी, चिंता या इच्छा न हो, ऐसे ही गहरे विश्राम में कृष्ण का जन्म होता है। यही जन्माष्टमी का संदेश भी है। गंभीरता के साथ आनंदपूर्ण बनें। आज कोरोना के चलते मंदिर बंद है। यही मर्यादा-धर्म है कि घर पर ही जन्मोत्सव का आनंद लीजिए...
श्री बांके बिहारी, मथुरा (यूपी)
21 किस्म के पाग से भोग, यहां सिर्फ जन्माष्टमी पर ही होती है मंगला आरती
- बुधवार रात्रि 11:00 बजे मंदिर के सेवायत गोस्वामीगण मंदिर परिसर में 21 किस्म के पाग लेकर प्रवेश करेंगे।
- ठाकुरजी से निवेदन करेंगे कि वे नित्यरास के लिए न जाएं, आज जन्मोत्सव मनाने के लिए उनका अभिषेक होना है।
- मंदिर के बाहर दो यज्ञाचार्य श्रीमद् भगवद् के दशम स्कंद के पहले 3 अध्याय में दिए जन्म प्रसंग का पाठ करते रहेंगे।
- गोस्वामीगण ठाकुरजी की इत्र से मालिश कर उन्हें 11:45 बजे उठा देंगे। बाहर कुंज बिहारी अष्टक का पाठ शुरू होगा।
- मिट्टी की नाद में चांदी के पात्र रखकर अभिमंत्रित किया जाएगा। इस पात्र पर बांके बिहारी को स्थापित करेंगे।
- पहले शुद्ध जल फिर दूध, दही, घी, शहद और मिश्री से स्नान कराएंगे। फिर तैयार पंचामृत और अंत में शुद्धजल से स्नान कराएंगे। फिर ठाकुर जी को सिंहासन पर विराजमान कर शृंगार व भोग होगा।
- फिर वे गर्भगृह के बाहर लाए जाएंगे और मंगला आरती होगी। सिर्फ जन्माष्टमी पर ही बिहारीजी की मंगला आरती होती है।- गोपी गोस्वामी, मंदिर के प्रमुख सेवायत
श्रीकृष्ण का स्तुति मंत्र...कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।
श्री द्वारकाधीश, द्वारका (गुजरात)
द्वारकाधीश का 1650 बार जलाभिषेक, रात्रि 2 बजे तक खुले रहेंगे मंदिर के पट
- द्वारकाधीश के श्याम पाषाण स्वरूप का पूजन द्वारका में होता है। यह स्वरूप त्रिविक्रमराय कहलाता है जो विष्णु जी के 24 अवतार में से एक है।
- बुधवार को पहले रात्रि में 10 बजे की आरती होगी। फिर सोलह सौ पचास अभिषेक किए जाते हैं।
- इसके बाद दूध, दही, घी, शहद, मिश्री आदि के पंचामृत से भगवान का अभिषेक होता है, फिर दूध से अभिषेक का क्रम चलता है जो कि वेदोक्त, पुराणोक्त और पुरुषोक्त मंत्रों द्वारा किया जाता है।
- मध्य रात्रि पर आरती के साथ लड्डू गोपाल को विविध मिष्ठान से भोग लगाया जाएगा।
- अगली सुबह अर्थात नवमी को भगवान को अतिप्रिय माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है।
- जगत मंदिर के पट सामान्य दिनों में रात्रि 10 बजे बंद हो जाते हैं। जन्मोत्सव की रात भगवान को बाल स्वरूप में झूला झुलाया जाता है। ये सिर्फ वर्ष में एक बार जन्माष्टमी की रात ही होता है। इसके लिए पट रात्रि दो बजे तक खुले रहते हैं। -प्रणवभाई, पुजारी जगत मंदिर, द्वारका
इस मंत्र से पूजन का आरंभ होता है...तं यज्ञं बर्हिषि प्रौक्षन् पूरुषं जातमग्रत:। तेन देवाSअयजन्त साध्याSऋषयश्च ये।।
श्रीनाथजी, नाथद्वारा (राजस्थान)
राई-नमक से नजर उतारी जाएगी, रात 12 बजे तोपों से 21 सलामी दी जाएगी
- सुबह 4 बजे शंखनाद होगा। सुबह 8.30 बजे श्रीनाथजी का दूध, दही, घी, मिश्री और शहद केे पंचामृत स्नान होगा। शृंगार के बाद राई-नमक से नजर उतारी जाएगी। पंड्याजी ठाकुरजी को जन्मपत्री सुनाएंगे।
- रात 9.15 बजे जागरण के दर्शन खुलेंगे। हवेली में नौबत, नगाड़े, घंटे-घड़ियाल, साथ शंख ध्वनि, बधावे गूंजेंगे।
- रात 12.00 बजे ठाकुरजी के प्राकट्य का संकेत देने नक्कारखाने से बिगुल बजेगा। रिसाला चौक में दो तोपों से 21 बार सलामी दी जाएगी।
- श्रीनाथजी को दूध, दही, घी, शहद और इसके बाद मिश्री से क्रमवार स्नान और फिर जल से शुद्ध स्नान कराया जाएगा। चंदन आदि सुगंधित द्रव्यों से स्नान, शृंगार होगा। फिर जन्म आरती होगी।
- चंदन आदि सुगंधित द्रव्यों से स्नान के बाद शृंगार होगा। जन्म आरती होगी। बधाई गान और कीर्तन हाेता है।
- रात 1.15 बजे महाभोग में पंजीरी, 5 भात, अनाज-दूध, फल आदि से बने 100 से ज्यादा तरह के व्यंजन परोसे जाएंगे। - तिलकायत राकेशजी महाराज
मंत्रोच्चार की जगह कृष्ण जन्म के पद और बधाई गीत गाए जाते हैं...बाजत आज बधाई गोकुल में..., जसुमति कूंख चंद्रमा प्रगट्यो-या जग को उजियार।
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