बुधवार, 26 अगस्त 2020

अपनों के बीच ही बराबरी के हक की 5 कहानियां और 2 फैसले, दुनिया हारी और इनका हौसला जीत गया

महिलाओं को समानता का दर्जा दिलाने के लिए लगातार संघर्ष करने वाली दुनिया भर की तमाम महिलाओं के नाम है 26 अगस्त को मनाया जाने वाला 'महिला समानता दिवस'। ये दिन एक बार फिर उन मेहनत करने वाली महिलाओं की याद दिलाता है जो तमाम मुश्किलों के बाद भी जिंदगी में मुकाम हासिल कर रही हैं।

पहले जहां महिलाएं घर की चार दीवारी में बंद थीं, वहीं अब वे हर कीमत पर अपने हक की लड़ाई लड़ रही हैं। ऐसी ही पांच मेहनकश महिलाओं की कहानी महिला समानता दिवस पर हम आपके लिए पेश कर रहे हैं। इनका जूनून और हौसला उन्हें नई पहचान देने में सफल रहा है।

  • सुभाषिनी शहीदों की विधवाओं को डांस, आर्ट, प्ले, एजुकेशनल प्रोग्राम के जरिए खुशहाल जिंदगी के नए उद्देश्य दे रही हैं।
  • उनके सराहनीय कामों के लिए 2016 में सुभाषिनी को ''नीरजा भनोट पुरस्कार'' से नवाजा जा चुका है।
  • वे अपने प्रयासों से शहीदों की विधवाओं के सूने जीवन में घर कर गए खालीपन को भरने का प्रयास करती हैं। उनकी संस्था शहीदों के बच्चों को स्कॉलरशिप प्रदान करती है, ताकि इन बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो सके।
  • शाइनी को ओडिशी हैंडमेड प्रोडक्ट बनाने के लगभग 500 ऑर्डर हर महीने मिलते हैं। लॉकडाउन में भी उनकी वजह से कारीगरों को रोजगार मिला।
  • वे 25 कारीगरों के साथ मिलाकर ओडिशी मिनी डॉल्स बना रही हैं। उनके इस काम को ज्यादातर महिला कारीगर कर रही हैं। उनके प्रोडक्ट की डिमांड मुंबई, बेंगलुरु और अन्य मेट्रो सिटीज में भी है।
  • वे इन कारीगरों को ज्वैलरी और ओडिशी पट्‌टचित्र डिजाइन वाले बॉक्स बनाने की ट्रेनिंग देती हैं। साथ ही रॉ मटेरियल का सही इस्तेमाल कर उन्हें यूनिक डिजाइन बनाना सीखाती हैं।
  • उमंग खादीजी ब्रांड की संस्थापक हैं। पिछले साल उनका नाम प्रतिष्ठित बिजनेस पत्रिका फोर्ब्स की अंडर-30 अचीवर्स की सूची में शामिल था।
  • चरखे के माध्यम से खादी को डिजिटल फाॅर्म में पेश करती हैं। उनके क्लाइंट्स में रिलायंस इंडस्ट्रीज और आदित्य बिड़ला ग्रुप भी शामिल हैं।
  • उन्होंने अपने ब्रांड खादीजी की शुरुआत 30 हजार रुपए से की थी। आज उनका टर्नओवर लगभग 60 लाख रुपए है।
  • पूजा जून 2001 में एयरफोर्स की प्रशासनिक शाखा में शामिल हुईं और विंग कमांडर एयरफोर्स की ह्यूमन रिर्सोसेज पॉलिसी को चुनौती दी।
  • जब एयरफोर्स ने 2012 में स्थायी कमीशन का ऑप्शन दिया था, तब व्यक्तिगत कारणों से पूजा स्थायी कमीशन नहीं ले पाईं। उसके बाद उन्हें दूसरा अवसर नहीं दिया गया। एयरफोर्स ने अपनी स्वयं की एचआर पॉलिसी का हवाला दिया। जबकि ये सरकार या रक्षा मंत्रालय से स्वीकृत पॉलिसी नहीं थी।
  • पूजा ने इसी पॉलिसी को चुनौती दी और उनके प्रयासों से सुप्रीम कोर्ट ने थलसेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने पर अपना फैसला सुनाया।
  • गगनचुंबी ईमारतों की खिड़कियों के शीशे साफ करते समय उनके एक हाथ में स्मार्टफोन होता है, जिससे वह वीडियो बनाती हैं तो दूसरे हाथ में कांच साफ करने वाला टूल। इस युवती की डेयरिंग देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
  • टिकटॉक पर नोआ के 60 हजार तो इंस्टाग्राम पर 3 हजार फॉलोअर्स हैं। नोआ इजराइल सोशल मीडिया पर मशहूर हस्ती बन चुकी हैं।
  • नोआ को जब लोग ऊंची बिल्डिंग की खिड़की के कांच साफ करते हुए देखते हैं तो वे हैरान रह जाते हैं कि ये काम एक लड़की कैसे कर सकती है।
  • एक नजर इस साल महिलाओं के हक में हुए दो अहम फैसलों पर :

फैसला नं.# 1

सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों के हक में बड़ा फैसला सुनाया। आदेश के मुताबिक, अब पिता की संपत्ति में बेटी भी बराबर की हिस्सेदार होंगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि 2005 में हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून आने से पहले पिता की मौत क्यों न हो गई हो, इसके बावजूद बेटी का हक बराबर का होगा।

फैसला नं.# 2

आर्मी में महिलाओं को बराबरी का हक मिलेगा। सरकार ने उन्हें स्थायी कमीशन देने का आदेश जारी किया है। महिलाओं को सेना की सभी 10 स्ट्रीम- आर्मी एयर डिफेंस, सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर, आर्मी सर्विस कॉर्प, इंटेलीजेंस, जज, एडवोकेट जनरल और एजुकेशनल कॉर्प में परमानेंट कमीशन देने का फैसला किया गया।



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5 stories of equalization on women's equality day and 2 decisions in which daughters got equal in father's property, order of permanent commission in army was issued


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