लोगों को अब कोरोना महामारी से निजात मिलने की उम्मीद दिखाई देने लगी है। अमेरिका के साथ लगभग 6 देशों में टीकाकरण शुरू हो गया है। इसके पहले, ब्रिटेन ने 8 दिसंबर को दुनिया में सबसे पहले राष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीनेशन की शुरुआत की थी। रूस, चीन, यूएई जैसे देशों में पहले ही कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी मंजूरी दी जा चुकी है। दुनियाभर में शुरू हो रहे वैक्सीनेशन के साथ ही इससे जुड़ी कई बातें भी सामने आ रही हैं।
वैक्सीन के ट्रांसपोर्टेशन, रख-रखाव के अलावा एशियाई और अफ्रीकी देशों में ट्रेंड स्टाफ की कमी और इसकी सुरक्षा बड़ी समस्या है। वहीं, वैक्सीनेशन के बाद कुछ लोगों में इसके साइड इफेक्ट भी देखने को मिले रहे हैं। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं और बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।
गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर वैक्सीन के असर का डेटा नहीं
यूनाईटेड किंगडम की ज्वाइंट कमेटी ऑन वैक्सीनेशन एंड इम्यूनाइजेशन (JCVI) ने 2 दिसंबर को जारी एक बयान में कहा कि हमें नहीं पता कि फाइजर कंपनी की वैक्सीन लेने के बाद गर्भवती महिला और उसके बच्चे पर क्या असर पड़ेगा। इसे लेकर पूरी दुनिया में कोई पुख्ता डेटा भी उपलब्ध नहीं है। न ही इसे लेकर किसी इंसान या जानवर पर अध्ययन किया गया है। इसलिए फिलहाल गर्भवती महिलाओं और जो महिलाएं मां बनना चाहती हैं, उनके लिए फाइजर कोरोना वैक्सीन लगाने पर रोक है।
वहीं अमेरिका के फूड एंड ड्रग के सेंटर फॉर बायोलॉजिक्स इवैल्यूएशन एंड रिसर्च के निदेशक डॉ.पीटर मार्क्स ने कहा है कि अमेरिका में किसी भी चीज से एलर्जी वाले लोगों को वैक्सीन नहीं दी जाएगी। आंकड़ों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन के लिए बड़े इंतजाम किए जा रहे हैं।
- अगर सभी कंपनियां ट्रायल में सफल रहीं, तो 12 अरब वैक्सीन डोज 2021 में आ सकती हैं।
- पहले चरण में भारत और यूराेप से 200 करोड़ वैक्सीन डोज बाकी दुनिया में भेजे जाएंगे।
- वैक्सीन पहुंचाने के लिए दुनियाभर में सरकारों ने 2500 हवाई जहाजों को अधिग्रहित किया है।
- अकेला अफ्रीका दुनियाभर से 60 करोड़ कोरोना वैक्सीन डोज आयात करेगा।
- एशियाई देश ( भारत और चीन को छोड़कर) 100 करोड़ वैक्सीन डोज आयात करेंगे।
- भारत में वैक्सीन कंपनियों पर 2 महीने में 70 लाख से ज्यादा बार साइबर अटैक हो चुके हैं।
स्टोरेज और हैंडलिंग बड़ी समस्या रहेगी
अमेरिका में फाइजर की कोविड वैक्सीन के रोलआउट का पहला दिन काफी दिक्कतों से भरा रहा। वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री पर स्टोर करने की बाध्यता के चलते पहले दिन ही वैक्सीन की दो ट्रे कंपनी को वापस करनी पड़ी। कैलिफोर्निया में पहले दिन जो वैक्सीन डिलीवर हुई वो माइनस 70 से भी ज्यादा यानी माइनस 80 डिग्री पर स्टोर की गई थी। इसके चलते स्वास्थ्य कर्मियों ने वैक्सीन फाइजर को लौटा दी। माइनस 80 डिग्री पर वैक्सीन के असर का अभी अध्ययन नहीं किया गया है। वहीं, एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि हमारे देश में कोल्ड चेन सप्लाई को बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी।
ट्रेंड स्टाफ की कमी से समस्या हो सकती है
कोरोना संक्रमण के कारण कई देश पहले से ही ट्रेंड स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में एक साथ बड़ी संख्या मे इस टीकाकरण के लिए ट्रेंड स्टॉफ की कमी बड़ी बाधा बन सकती है। हालांकि सरकार निजी संस्थाओं की मदद ले सकती है। लेकिन, उन्हें इतनी जल्दी प्रशिक्षित करना, उनकी पड़ताल करना कठिन काम होगा।
भारत में पहले ही 6 लाख डॉक्टरों और 20 लाख नर्सों की कमी है। भारत में 10,189 लोगों पर एक सरकारी डॉक्टर है, जबकि डब्ल्यूएचओ के अनुसार यह अनुपात 1:1000 होना चाहिए। इसी तरह, नर्स पेशेंट अनुपात 1:483 होना चाहिए, जबकि भारत में 1000 जनसंख्या पर 1.7 नर्स ही हैं।
डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम और लोगों में वैक्सीन को लेकर डर
मॉडर्ना, फाइजर-बायोएनटेक और एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के दो डोज, तीन से चार सप्ताह के अंतर पर लगाना जरूरी हैं। ऐसे में लोगों की स्क्रीनिंग, शेड्यूलिंग, रजिस्ट्रेशन और वैक्सीन लगाने के लिए जगहों का चुनाव भी बड़ा टॉस्क होगा।
अमेरिका में भी लोग वैक्सीन को लेकर डरे हुए हैं। न्यूयार्क टाइम्स में की खबर के अनुसार, 40% से अधिक अमेरिकी ऐसे हैं, जो कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते। इनमें से अधिकतर वैक्सीन के सुरक्षित होने को लेकर चिंतित हैं। इसके अलावा बुजुर्गो में भी वैक्सीनेशन को लेकर बहुत ज्यादा रुचि नहीं है।
वैक्सीन का रिएक्शन, साइड इफेक्ट्स भी खतरा होंगे
अमेरिका में शुरू हुए कोविड-19 वैक्सीनेशन के साथ ही इसके साइड इफेक्ट भी सामने आ रहे हैं। अलास्का में दो नर्सिंग स्टाफ में एलर्जी के गंभीर लक्षण दिखाई दिए। चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. एजलीक रेमिरेज के अनुसार, गुरुवार को एक महिला नर्सिंग स्टाफ को वैक्सीनेशन के 10 मिनट बाद ही जीभ में सूजन, सांस लेने में दिक्कत और आवाज भारी होने की शिकायत हुई।
इसके बाद उसे एपिनेफ्रिन की दो डोज दी गई। लगभग 6 घंटे बाद उसे डिस्चार्ज किया गया। पहले भी एक नर्सिंग स्टाफ को ऐसी ही शिकायत हुई थी। इसे एनाफिलेक्टिक सिम्टम्स कहा जाता है। भारत में भी इस तरह के खतरे बने रहेंगे। इन पर निगरानी रखनी होगी।
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from Dainik Bhaskar /national/news/mass-vaccination-4-lessons-we-should-learn-from-america-uk-128032013.html
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