(मोहित कंधारी). जम्मू-कश्मीर में आठ चरणों में निकाय चुनाव (डीडीसी) के लिए मतदान संपन्न हो गए। 50% से ज्यादा मतदान ने चुनावों की टाइमिंग और लोगों में असंतोष का राग अलापने वालों की जुबान पर ताला लगा दिया है। खराब मौसम और कोरोना महामारी के कारण लगाई गई पाबंदियों के बावजूद जम्मू-कश्मीर के 20 जिलों से लोग बड़ी संख्या में वोट देने बाहर आए। कुपवाड़ा, राजौरी, पूंछ, सांबा और कठुआ जैसे सीमावर्ती जिलों में भी भारी मतदान हुआ। डोडा और किश्तवार जैसे पहाड़ी इलाकों में भी प्रभावशाली मतदान हुआ है।
इन चुनावों में भाजपा और गुपकार संगठन दोनों ने पूरा दम लगाया है। भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदर्शन के इर्द-गिर्द अपनी रणनीति बनाई। वहीं, गुपकार ने राज्य का दर्जा और 370 की बहाली को अपना आधार बनाया। भाजपा ने चुनाव प्रचार में करीब दर्जन भर राष्ट्रीय नेताओं को लगाया। जम्मू क्षेत्र में पार्टी का दबदबा कायम रहने की उम्मीद है।
वाल्मीकि और गोरखा समाज ने यहां पहली बार वोट डाला है। इसके अलावा पार्टी ने महिलाओं को लुभाने के लिए स्मृति ईरानी समेत कई स्थानीय महिला नेताओं को प्रचार पर लगाया। उत्तरी कश्मीर के कुछ पॉकेट में भी भाजपा अच्छा प्रदर्शन कर चौंका सकती है। दूसरी ओर गुपकार गठबंधन को दक्षिणी कश्मीर में मजबूत आंकड़े हासिल करने की उम्मीद है। चुनाव के नतीजे 22 दिसंबर को आएंगे।
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