अमेरिका ने भारत, ताइवान और थाईलैंड को करंसी मैनिपुलेटर देशों की मॉनिटरिंग लिस्ट में डाल दिया है। इस लिस्ट में चीन, जर्मनी, इटली समेत 6 और देश शामिल हैं। भारत को डेढ़ साल बाद एक बार फिर इस लिस्ट में डाला गया है।
आखिर करंसी मैनिपुलेटर का मतलब क्या होता है? अमेरिका किन देशों को इस लिस्ट में डालता है? इस लिस्ट में डाले जाने से क्या फर्क पड़ता है? भारत को दोबारा इस लिस्ट में क्यों डाला गया? आइये जानते हैं...
करंसी मैनिपुलेटर का मतलब क्या है?
यह अमेरिकी सरकार के ट्रेजरी डिपार्टमेंट की ओर से दिया जाने वाला एक लेबल है। जब अमेरिका को ऐसा लगता है कि कोई देश अनुचित करंसी प्रैक्टिस में शामिल है और इससे अमेरिकी डॉलर की वैल्यू कम होती है, तो उस देश के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कहने का मतलब है कि जब कोई देश जानबूझकर अपनी करंसी की वैल्यू किसी न किसी तरीके से कम करता है, तो उससे दूसरे देशों की करंसी के मुकाबले उसे फायदा होता है। विदेशी करंसी को डी-वैल्यू करने से उस देश की एक्सपोर्ट कॉस्ट घट जाती है।
इसके लिए अमेरिका ने तीन पैरामीटर तय किए हैं। इन तीन में से जिन देशों पर दो पैरामीटर लागू होते हैं, उसे अमेरिका अपनी मॉनिटरिंग लिस्ट में डाल देता है। और जिन देशों पर तीनों पैरामीटर लागू होते हैं, उन्हें करंसी मैनिपुलेटर घोषित कर देता है। इस बार अमेरिका की करंसी मैनिपुलेटर मॉनिटरिंग लिस्ट में 8 देश हैं, जबकि दो देशों को अमेरिका ने करंसी मैनिपुलेटर घोषित किया है।
करंसी मैनिपुलेटर के लिए कौन-से पैरामीटर हैं?
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अमेरिका से उस देश के बायलैटरल ट्रेड सरप्लस 12 महीने के दौरान 20 अरब डॉलर से ज्यादा होना।
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करंट अकाउंट सरप्लस का एक साल के भीतर देश की जीडीपी का कम से कम 2% होना।
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12 महीन में कम से कम 6 बार फॉरेन एक्सचेंज नेट परचेज का जीडीपी का 2% होना।
इस लिस्ट से क्या फर्क पड़ता है?
जो देश इस लिस्ट में डाला जाता है, उस समय उस पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता। लेकिन, ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट में उस देश को लेकर सेंटिमेंट नेगेटिव हो सकता है।
भारत को इस लिस्ट में दोबारा क्यों डाला गया?
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अमेरिका ने मई 2019 में भारत को इस लिस्ट से बाहर कर दिया था। उस वक्त अमेरिका की ओर से तय तीन पैरामीटर्स में से दो पैरामीटर भारत पर लागू नहीं होते थे। उस वक्त भारत का सिर्फ बाइलेटरल ट्रेड सरप्लस 20 अरब डॉलर से अधिक था।
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अमेरिकी ट्रेड डिपार्टमेंट के रिव्यू में इस बार भी भारत का बाइलेटरल ट्रेड 20 अरब डॉलर से ज्यादा है। जून 2020 तक के पहले चार क्वार्टर में ये 22 अरब डॉलर रहा। वहीं, भारत का फॉरेन एक्सचेंज का नेट परचेज 64 अरब डॉलर का रहा, जो जीडीपी का 2.4% है। पिछले 12 में से 10 महीने ऐसे रहे जब भारत का फॉरेन एक्सचेंज नेट परचेज जीडीपी का 2% से ज्यादा रहा।
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इन दो पैरामीटर्स के कारण एक बार फिर भारत अमेरिका की करंसी मैनिपुलेटर मॉनिटरिंग लिस्ट में आ गया है।
भारत के अलावा और कौन से देश इस लिस्ट में हैं?
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यूएस डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स की ताजा रिपोर्ट में भारत के साथ ताइवान और थाईलैंड को इस लिस्ट में डाला है। इसके अलावा चीन, जापान, साउथ कोरिया, जर्मनी, इटली, सिंगापुर और मलेशिया भी इस लिस्ट में हैं। ये देश पहले से ही इस लिस्ट में थे।
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अमेरिका ने भारत को अक्टूबर 2018 में इस लिस्ट में डाला था। मई 2019 में उसे इस लिस्ट से बाहर कर दिया था। डेढ़ साल बाद एक बार फिर भारत को इस लिस्ट में डाल दिया गया है।
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वियतनाम और स्विट्जरलैंड को अमेरिका ने करंसी मैनिपुलेटर घोषित कर दिया है। इन दोनों देशों पर अमेरिका द्वारा तय तीनों पैरामीटर लागू होते हैं।
कोई देश इस लिस्ट से कैसे बाहर आएगा?
जो देश एक बार मॉनिटरिंग लिस्ट में आ जाता है, उसे कम से कम दो बार लगातार इससे बाहर रहना होता है। तभी अमेरिका उसे इस लिस्ट बाहर करता है। अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट के मुताबिक ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे यह तय हो सके कि उसकी इकोनॉमी में जो सुधार हो रहे हैं, वे टैम्परेरी नहीं हैं।
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