शुक्रवार, 22 मई 2020

दिनभर में शनि पूजा के लिए 3 मुहूर्त, घर पर रहकर ही करें पूजा

आज शनि जयंती है। ये पर्व हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठ महीने में अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है। इस बार नेशनल लॉकडाउन के चलते कोशिश करनी चाहिए कि शनिदेव की पूजा घर रहकर ही करें। शनिदेव दिव्यांग, गरीब और मजदूर वर्ग के स्वामी है। इसलिए इस दिन जो जरूरतमंद लोग अपने घरों को जा रहे हैं। उनकी मदद करें। उन्हें भोजन दें। शरीर में शनि का प्रभाव पैरों पर होता है। इसलिए ऐसे लोगों को जूते और चप्पल दान करें।

  • साढ़ेसाती और ढय्या के कारण परेशान लोगों के लिए शनि जयंती बहुत ही खास पर्व होता है। इस दिन शनि पूजा, व्रत और दान करने से शनि के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं। इस बार 972 साल बाद शनि जयंती पर चार ग्रह एक ही राशि में है और बृहस्पति के साथ शनि खुद की राशि में है। इससे पहले ये दुर्लभ संयोग सन 1048 में बना था।

मनु और यम है भाई, यमुना और ताप्ति बहनें
स्कंदपुराण के काशीखंड की कथा के अनुसार राजा दक्ष की पुत्री संज्ञा का विवाह सूर्य के साथ हुआ। संज्ञा ने वैवस्वत मनु, यमराज और यमुना को जन्म दिया। सूर्य के तेज नहीं कर पाने पर संज्ञा अपनी छाया सूर्य के पास छोड़कर तपस्या करने चली गई। ये सूर्य को पता नहीं थी। इसके बाद छाया और सूर्य की भी 3 संतान हुई। जो कि शनिदेव, मनु और भद्रा (ताप्ती नदी) थी। शनिदेव की 2 पत्नियां मंदा और ज्येष्ठा है।

शनिदेव धीरे-धीरे चलते हैं इसलिए कहते हैं शनैश्चर
ज्योतिष ग्रंथों में शनिदेव को न्यायाधीश कहा गया है। यानी ये न्याय दिलाने वाला ग्रह है। 9 ग्रहों में शनि का स्थान सातवां है। ये मकर और कुंभ राशि के स्वामी माने जाते हैं। शनै: शनै: यानी धीरे-धीरे चलने के कारण ही इन्हें शनैश्चर कहते हैं। इसलिए ये एक राशि में तीस महीने तक रहते हैं। शनि की महादशा 19 साल तक रहती है। साढ़ेसाती साढ़े 7 सालों तक और शनि की ढय्या ढाई साल तक रहती है।

  • शनिदेव की दशा, साढ़ेसाती और ढय्या में पुराने गलत कामों का फल मिलता है। शनिदेव मेहनत ज्यादा करवाते हैं। इनके कारण किसी भी काम को पूरा करने के लिए दुगनी मेहनत करनी पड़ती है। जो लोग गैर कानूनी या गलत काम नहीं करते उन्हें शनिदेव से नहीं डरना चाहिए।

खुद की ही राशि में शनि, 7 राशियां हो रही है प्रभावित
शनि इस समय मकर राशि में वक्री है। साथ में बृहस्पति भी वक्री है। मकर राशि में शनि होने से मिथुन और तुला राशि वाले लोगों को ढय्या चल रही है। धनु, मकर और कुंभ राशि वालों पर साढ़ेसाती है। शनि की सीधी नजर कर्क राशि वाले लोगों पर है। मीन राशि वालों पर भी शनि की दृष्टि पड़ रही है। इस तरह 7 राशि वालों पर शनिदेव का पूरा असर रहेगा।

शनि देव की पूजा विधि

  1. शनिदेव की पूजा भी बाकि देवी-देवताओं की पूजा की तरह सामान्य ही होती है।

  2. प्रात:काल उठकर स्नानादि से शुद्ध हों। फिर लकड़ी के एक पाट पर काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर या फिर एक सुपारी रखकर उसके दोनों और शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाकर धूप जलाएं।
  3. शनि देवता के इस प्रतीक स्वरूप को पंचगव्य, पंचामृत, इत्र आदि से स्नान करवाएं।
  4. इसके बाद अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुमकुम व काजल लगाकर नीले फूल अर्पित करें।
  5. इसके बाद इमरती और तेल में तली खानी की चीजों का नैवेद्य लगाएं।
  6. फिर श्रीफल के साथ दूसरे फल भी चढ़ाएं।
  7. पंचोपचार पूजन के बाद शनि मंत्र का जाप करें। इसके बाद शनि देव की आरती करें।

शनि जयंती पर क्या करें

  1. शनिदेव न्याय और मेहनत के देवता हैं। इसलिए जरूरतमंद लोगों की सेवा और मदद करनी चाहिए। गरीब लोगाों को परेशान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा खाने में तेल और उड़द से बनी चीजों का भी दान करना चाहिए।
  2. पूरे दिन व्रत रखें। इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान देना चाहिए। इस दिन काला कपड़ा, उड़द, तेल और लोहे की चीजें दान करनी चाहिए।
  3. शनिदेव की विशेष पूजा में तिल का तेल, नीले फूल और शमी पेड़ के पत्तों का उपयोग करें। इनके साथ ही इमरती या तेल से बनी चीजों का नैवेद्य लगाएं।

क्या न करें

  1. शनि भगवान को गरीब व असहाय लोगों का साथी माना जाता है। इसलिए किसी भी भूखे या गरीब व्यक्ति को खाली हाथ ना लौटाएं, इससे शनिदेव खासतौर से प्रसन्न होते हैं।
  2. इस दिन बाल और नाखून काटना या कटवाना अशुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि शनि जयंती पर बाल और नाखून बनवाने से दोष लगता है। जिसके कारण आर्थिक तंगी और रुकावटें भी आती हैं।
  3. शनि जयंती पर शनिदेव के दर्शन करने जाएं तो मूर्ति के सामने खड़े होकर दर्शन करें। दर्शन करते समय मूर्ति की आंखों में न देखें।


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Shani Dev Puja Vidhi/Shani Jayanti 2020; Puja Shubh Muhurat Today, Do's and Don'ts For Shani Puja


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