शुक्रवार, 22 मई 2020

देश में 70 लाख सैलून हैं और 2017-18 में ये इंडस्ट्री 3.8 अरब डॉलर की थी, रेवेन्यू लाने में 85% हिस्सेदारी महिलाओं की, कोरोना से सब कुछ ठप

लॉकडाउन के बीच सचिन तेंदुलकर ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया। इस वीडियो में सचिन बेटे अर्जुन का हेयरकट करते दिख रहे थे। उससे पहले तैमूर का हेयरकट करते हुए सैफ अली खान की तस्वीर भी करीना कपूर खान ने शेयर की थी।

विराट कोहली, इरफान पठान, विकी कौशल और न जाने कितने ही सेलेब्रिटी और आम लोग लॉकडाउन में सैलून बंद होने के चलते खुद ही हेयरस्टायलिस्ट बन गए। ये दिखाता है कि सैलून हमारे जीवन का कितना जरूरी हिस्सा है। लेकिन, इन दिनों कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण सैलून बंद पड़े हैं। हालांकि, लॉकडाउन-4 में कुछ जगहों पर सैलून खोलने की इजाजत मिल गई है, लेकिन वहां लोग जाने से डर भी रहे हैं।

तीन साल पहले सैलूून इंडस्ट्री 28 हजार करोड़ से ज्यादा की थी

पिछले साल आई फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री यानी फिक्की की रिपोर्ट की मानें तो देश में 60 से 70 लाख सैलून हैं। इनमें छोटे सैलून भी हैं और बड़े भी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 में भारत की सैलून इंडस्ट्री 3.8 अरब डॉलर की थी। जो आज के हिसाब से 28 हजार 500 करोड़ रुपए होते हैं।

इसी रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि सैलून इंडस्ट्री को सालाना जितना रेवेन्यू मिलता है, उसका 85% हिस्सा अकेले महिलाओं से ही आता है। फिक्की ने पिछली रिपोर्ट में 2017 से 2022 तक देश की सैलून इंडस्ट्री में 14.3% ग्रोथ होने का अनुमान लगाया था।

अपनी खूबसूरती पर सालभर में कितना खर्च करते हैं हम?

इंडियन ब्यूटी एंड हाइजिन (आईबीएचए) की एक रिपोर्ट बताती है कि, 2017 में हर भारतीय अपनी खूबसूरती पर सालाना 450 रुपए खर्च करता था। और ये खर्च हर साल बढ़ ही रहा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश में ब्यूटी और वेलनेस का बाजार 2018 में 901.07 अरब रुपए का था, जिसके2024 तक बढ़कर 2,463.49 अरब रुपए होने का अनुमान है। फिक्की की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्यूटी और वेलनेस में भी 30% हिस्सा अकेले सैलून इंडस्ट्री का है।

2022 तक सैलून इंडस्ट्री में 1.2 करोड़ लोगों की जरूरत होगी, 2013 में 34 लाख ही थे
केंद्र सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डेवलपमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप के तहत आने वाले नेशनल स्किल डेवलपेंट कॉर्पोरेशन ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में बताया था कि 2013 में भारत में ब्यूटी और सैलून इंडस्ट्री में 34 लाख लोग काम करते थे। लेकिन, ये इंडस्ट्री लगातार बढ़ रही है। इसलिए 2022 तक इस इंडस्ट्री में 1.2 करोड़ कामगारों की जरूरत होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, इस इंडस्ट्री में काम करने वालों में 50% से ज्यादा महिलाएं हैं।

कोरोना से सब कुछ ठप, सब कुछ बंद

इतने लोगों को रोजगार देने वाली सैलून इंडस्ट्री कोरोना के दौर में ठप पड़ी हुई है। भोपाल में सैलून चलाने वाले इमरान सलमानी बताते हैं, 'मेरी दुकान में 4 बंदे काम करते हैं। लॉकडाउन से पहले तक चारों दिनभर में 200 से 400 रुपए तक की कमाई कर लेते थे। रविवार के दिन तो 500 रुपए तक की भी कमाई हो जाती थी। लेकिन, लॉकडाउन में सिर्फ हमारी दुकान ही बंद नहीं हुई है, बल्कि कमाई भी बंद हो गई है। जो लोग मेरे यहां काम करते थे, उन सभी के छोटे-छोटे बच्चे थे।

उन्हें लॉकडाउन में कहीं काम भी नहीं मिल रहा। हम ही जानते हैं कि इस मुश्किल वक्त में हम कैसे घर चला रहे हैं।' थोड़ा मायूस होते हुए इमरान आगे बताते हैं, 'मैंने दुकान किराए पर ली थी। इसका किराया एक महीने का 15 हजार रुपए है। बताइए अब मैं कहां से इसका किराया दूंगा। वो तो भला हो कि मालिकअभी हमसे किराया नहीं मांग रहा, लेकिन जब दुकान खुलेगी, तब हो सकता है कि वो हमसे इकट्‌ठा किराया मांग ले। वो तो उससे ही बात करनी होगी हमें। सरकार भी हम पर ध्यान नहीं दे रही है।'इमरान 39 साल के हैं और पिछले 15 साल से इस काम में लगे हैं।

डॉ. संगीता कहती हैं जब तक हमारी वैक्सीन नहीं बनती है, तब तक हमें कोरोना के साथ ऐसे ही पूरे प्रोटोकॉल को निभाते हुए अपनी सर्विसेस देनी होगी।

ऑल इंडिया हेयर एंड ब्यूटी एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ. संगीता चौहान कहती हैं कि हमारी सैलून इंडस्ट्री अब फिर से उसी जगह पहुंच गई है, जहां से हमने शुरू किया था। वो कहती हैं 'कोरोनावायरस का न सिर्फ सैलून इंडस्ट्री बल्कि सभी इंडस्ट्री पर असर पड़ा है। लेकिन, हमारी इंडस्ट्री ऐसी है, जहां सोशल डिस्टेंसिंग रखना मुश्किल है। क्योंकि, हम इसमें क्लाइंट की चमड़ी के पास तक जाते हैं। अब लॉकडाउन धीरे-धीरे खुल रहा है, पर हमारी इंडस्ट्री पर अभी तक लॉकडाउन है। हां, कुछ जगहों पर सैलून जरूर खुले हैं।'

कोरोना के बाद की कैसी होगी सैलून इंडस्ट्री?
लॉकडाउन के बाद जब सैलून दोबारा खुलने लगेंगे, तो सब कुछ बदला-बदला सा दिखेगा। डॉ. संगीता बताती हैं, "पहले जो सैलून, सैलून की तरह दिखते थे, अब वो क्लीनिक की तरह दिखने लगेंगे। क्योंकि, अब वहां काम करने वाले लोगों का एक ड्रेस कोड होगा। वो लोग बकायदा सेफ्टी मेजर का ध्यान रखेंगे। क्लाइंट को भी सैनिटाइज करने के बाद ही सैलून में एंट्री मिलेगी।"

'हम अपनी सर्विसेस देने का तरीका भी बदलेंगे। पहले हम थ्रेडिंग करते थे, तो उसमें हम मुंह में धागा लेकर करते थे, लेकिन अब हम गैजेट्स यूज करेंगे। नो-टच स्कीन फेशियल करेंगे। हम जो वैक्सिंग करने वाले हैं, वो डबल-डीपिंग मैथड से होगी। तो कहने का मतलब है कि काम करने का तरीका बदलेगा। लोग बदलेंगे। हमारा स्टाफ है। वो अपने-अपने सेफ्टी मेजर को ध्यान में रखते हुए काम करेंगे।'

डॉ. संगीता का कहना है कि अब हर एक को हर एक से प्रिकॉशन लेनी होगी। स्टाफ को क्लाइंट से लेनी है। क्लाइंट को स्टाफ से लेनी है। और जो दुकान का मालिक है, उसको पूरा ही सिस्टम वायरस फ्री रखना है।

ये तस्वीर गुजरात के सूरत शहर की है। यहां लॉकडाउन-4 में कुछ हिस्सों में सैलून खोलने की छूट है। सैलून शॉप में नाई पीपीई किट पहनकर कस्टमर के बाल काट रहे हैं।

कोरोना के बाद क्या सिर्फ बड़ी दुकानें ही बचेंगी?

डॉ. संगीता इस बात से इत्तेफाक रखती हैं। वो कहती हैं, 'चाहे छोटा सैलून हो या बड़ा। सभी को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना पड़ेगा। किसी सैलून में अगर 10 कुर्सियां हैं, तो उसमें से 5 पर ही लोग बैठेंगे और अगर किसी सैलून में 2 कुर्सियां हैं, तो एक कुर्सी पर ही ग्राहक बैठेगा।

''पहले सैलून में ज्यादा स्टाफ रखकर टर्नओवर बढ़ा सकते थे। अब लेकिन, स्टाफ भी कम रखना होगा। इससे हमारी सर्विसेस का टाइम भी लंबा हो जाएगा और हमारी कॉस्ट पर भी असर पड़ेगा। क्योंकि हम जितने भी सेफ्टी मेजर अपनाएंगे, वो सब डिस्पोजेबल आइटम हैं। चाहे मास्क हो। ग्लव्स हो। किट हो।'हालांकि, डॉ. संगीता ये भी कहती हैं कि जैसे-जैसे रिस्क फैक्टर कम होता चला जाएगा, वैसे-वैसे सैलून अपनी पुरानी स्थिति में आने लगेंगे।''



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There are 7 million salons in the country and in 2017-18, the industry was worth $ 3.8 billion, 85% share of women in revenue, everything from Corona stalled


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