रविवार, 17 मई 2020

972 साल बाद शनि जयंती पर 4 ग्रह एकसाथ; शनि-गुरु होंगे एक ही राशि में, 1048 में बना था ऐसा योग

22 मई शुक्रवार को ज्येष्ठ महीने की अमास्या होने से इस दिन शनि जयंती मनाई जाएगी। काशी के ज्योतिषाचार्य पं.गणेश मिश्रा के अनुसार इस पर्व पर ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण 972 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस बार शनि जयंती पर चार ग्रह एक ही राशि में होंगे और शनि के साथ बृहस्पति मकर राशि में रहेगा। ग्रहों की ऐसी स्थिति 21 मई 1048 को बनी थी। अब ऐसा संयोग अगले 500 सालों तक भी नहीं बनेगा।

दुर्लभ ग्रह स्थिति का देश पर असर

ज्योतिषाचार्यपं. मिश्रा बताते हैं कि शनि जयंती यानी ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को शनि खुद की राशि मकर में बृहस्पति के साथ रहेगा। इन ग्रहों के कारण देश में न्याय और धर्म बढ़ेगा। प्राकृतिक आपदाओं और महामारी से जीतकर भारत एकताकवर देश के रूप में उभरेगा। देश में धार्मिक गतिविधियांबढ़ेंगी। मजदूर वर्ग और नीचले स्तर पर काम करने वाले लोगों के लिए अच्छा समय शुरू होगा। खेती को बढ़ावा मिलेगा। अनाज और खाने की अन्य चीजों का उत्पादन भी बढ़ेगा।

शनि जयंती पर वृष राशि में सूर्य, चंद्र, बुध और शुक्र एक साथ रहेंगे। इन 4 ग्रहों के कारण देश की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी। देश की कानून व्यवस्था और व्यापारिक नीतियों में बदलाव होगा। विश्व में भारत की प्रसिद्धि बढ़ेगी। विश्व के दूसरे देश भारत को सहयोग करेंगे। बड़े प्रशासनिक पदों की जिम्मेदारी निभा रही महिलाओं का प्रभाव बढ़ेगा।

स्कंदपुराण के अनुसार शनि का जन्म

स्कंदपुराण के काशीखंड की कथा के अनुसार राजा दक्ष की पुत्री संज्ञा का विवाह सूर्य देवता के साथ हुआ। इसके बाद संज्ञा ने वैवस्वत मनु, यमराज और यमुना को जन्म दिया। सूर्यका तेज ज्यादा होने से संज्ञा परेशान थी। संज्ञा अपनी छाया सूर्य के पास छोड़कर तपस्या करने चली गई। ये बात सूर्य को पता नहीं थी। इसके बाद छाया और सूर्य से भी 3 संतान हुई। जो कि शनिदेव, मनु और भद्रा(ताप्ती नदी) थी। छाया पुत्र होने से शनिदेव का रंग काला है। जब सूर्य देव को छाया के बारे में पता चला तो उन्होंने छाया को श्राप दे दिया। इसके बाद शनिदेव और सूर्य पिता-पुत्र होने के बाद भी एक-दूसरे के शत्रु हो गए।

ज्योतिष में शनि

9 ग्रहों में शनि 7वां ग्रह है। ये बहुत धीरे-धीरे चलने वाला ग्रह है। ये एक राशि में करीब 30 महीने यानी ढाई साल तक रहता है। कुंभ और मकर राशि वाले लोगों पर शनि पूरा प्रभाव रहता है। क्योंकि ये शनि की ही राशियां है। शनि को क्रूरऔर न्याय का ग्रह माना जाता है। ये अच्छे और बुरे कामों का फल देर से देता है लेकिन इसका असर बहुत ज्यादा प्रभावशाली होता है। शनि के अच्छे फल से नौकरी और बिजनेस में तरक्की, प्रॉपर्टी, धन लाभ और राजनीति में बड़ा पद मिलता है। शनि के अशुभप्रभाव से कर्जा, चोट, दुर्घटना, रोग, धन हानि, जेल, विवाद होने लगते हैं। इसके कारण अपने ही लोगों से दूरी बढ़ जाती है।

तेल चढ़ाएं, काले तिल और उड़द का दान करें

शास्त्रों के अनुसार जहां सभी देवी-देवताओं की पूजा सुबह होती है वहीं शाम कोशनिदेव की पूजा करने का महत्व ज्यादा है। शनि जयंती पर्व पर भगवान शनिदेव को तिल का तेल चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही काला कपड़ा भी चढ़ाएं। शमी पेड़ के पत्ते और अपराजिता के नीले फूल खासतौर से इनकी पूजा में शामिल करना चाहिए। तिल, उड़द, काला कंबल, बादाम, लोहा, कोयला इन वस्तु ओं पर शनि का प्रभाव होता है। इसलिएशनिदेव को प्रसन्न करने के लिए संध्या के समय इनका दान करना चाहिए।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
972 years later 4 planets together on Shani Jayanti; Shani-Guru will be in the same zodiac, this yoga was formed in 1048


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3e4hhCP
https://ift.tt/2z1P944

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubt, please let me know.

Popular Post