चीन के मुद्दे पर कांग्रेस-भाजपा की बयानबाजी में राजीव गांधी फाउंडेशन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। भाजपा ने इस फाउंडेशन को चीन से फंडिंग मिलने और यूपीए के समय में जरूरतमंदों का पैसा डायवर्ट करने का मुद्दा उठाया है।
राजीव गांधी फाउंडेशन क्या है?
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए 21 जून 1991 को सोनिया गांधी ने इस फाउंडेशन की शुरुआत की थी। ये फाउंडेशन एजुकेशन, साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रमोशन, शोषित (अंडरप्रिवलेज्ड) और दिव्यांगों के एम्पावरमेंट के लिए काम करती है। डोनेशन और इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाले रिटर्न से इसका काम चलता है। सोनिया गांधी इसकी चेयरपर्सन हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और पी. चिदंबरम ट्रस्टी हैं।
फाउंडेशन पर अभी विवाद क्यों?
भाजपा का पहला आरोप- चीन से फंडिंग मिली
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरुवार को कहा कि 2005-06 में राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से 3 लाख डॉलर (तब 90 लाख रुपए) मिले थे। फांउडेशन की एनुअल रिपोर्ट के आधार पर यह दावा किया गया। 2005-06 की एनुअल रिपोर्ट में फाउंडेशन को डोनेशन देने वालों की लिस्ट में चीन का भी नाम है।
दूसरा आरोप- यूपीए के समय पीएम रिलीफ फंड का पैसा डायवर्ट किया
नड्डा ने शु्क्रवार को कहा कि यूपीए के समय प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड (पीएमएनआरएफ) का पैसा राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) को दिया गया था। सोनिया पीएमएनआरएफ के बोर्ड में भी थीं और आरजीएफ की अध्यक्ष भी थीं। ये दावे का आधार भी आरजीएफ की 2005-06 और 2007-08 की एनुअल रिपोर्ट को बनाया। दोनों रिपोर्ट में डोनेशन देने वालों की लिस्ट में पीएमएनआरएफ शामिल है।
राजीव गांधी फाउंडेशन की फंडिंग पर 9 साल पहले भी विवाद हुआ था
आतंकियों से रिश्ते होने के आरोपी जाकिर नाइक की इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ने 2011 में राजीव गांधी फाउंडेशन को 50 लाख रुपए दिए थे। हालांकि, कांग्रेस ने बाद में रकम लौटा दी थी। भाजपा ने तब भी कहा था कि रकम लौटाकर लोगों को बेवकूफ बनाया गया है। भाजपा नेता आरपी सिंह ने कहा था कि नाइक के खिलाफ जांच चल रही है, इसलिए कांग्रेस ने खुद को सुरक्षित रखने के लिए रकम लौटा दी।
जाकिर नाइक करीब साढ़े तीन साल से मलेशिया में है। गिरफ्तारी के डर से वह 2016 में भाग गया था। भारत में उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और कट्टरता बढ़ाने का केस दर्ज है। जून 2017 में कोर्ट ने उसे भगोड़ा अपराधी घोषित किया था।
प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड क्या है?
1948 में उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यह फंड बनाया था। पाकिस्तान से विस्थापित लोगों की मदद करने के लिए यह फंड बनाया गया। बाद में दूसरे जरूरतमंदों के लिए इसका इस्तेमाल होने लगा। इसकी रकम से अब बाढ़, तूफान और भूकंप जैसी आपदाओं में मारे जाने वाले लोगों के परिवारों की मदद की जाती है। हार्ट सर्जरी, किडनी ट्रांसप्लांट और कैंसर के इलाज के लिए भी जरूरतमंदों को आर्थिक मदद दी जाती है। एसिड अटैक के पीड़ियो की भी मदद की जाती है। इसका मैनेजमेंट प्रधानमंत्री के हाथों में रहता है। इस फंड में कोई भी इंडिविजुअल, ऑर्गेनाइजेशन, ट्रस्ट, कंपनी या इंस्टीट्यूशन दान दे सकता है। दान की रकम पर इनकम टैक्स में छूट मिलती है।
विवाद की कड़ियां कोरोना पर बने पीएम-केयर्स फंड से भी जुड़ीं
कोरोना जैसी महामारियों की स्थिति में प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए मार्च में ही एक ट्रस्ट के तौर पर पीएम-केयर्स फंड का ऐलान किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम लोगों से लेकर कॉर्पोरेट्स और सेलेब्रिटीज तक से इस फंड में कंट्रीब्यूशन देने की अपील की थी। इस फंड के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं। रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री को भी ट्रस्टी बनाया गया है। प्रधानमंत्री के पास यह अधिकार है कि वे रिसर्च, हेल्थ, साइंस, सोशल वर्क, लॉ, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और फिलान्थ्रॉपी फील्ड से तीन लोगों को ट्रस्ट में नॉमिनेट कर सकते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पीएम-केयर्स फंड पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि जब पीएम रिलीफ फंड पहले से था तो फिर अलग से पीएम-केयर्स बनाने की क्या जरूरत थी? सोनिया ने कहा था कि पीएम-केयर्स की पूरी रकम पीएम रिलीफ फंड में ट्रांसफर की जानी चाहिए, जिससे ऑडिट हो सके और ट्रांसपेरेंसी बनी रहे।
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