कोरोनावायरस प्रेग्नेंट महिलाओं पर कहर बनकर बरपा है। पिछले दिनों दिल्ली के बिजेंद्र सिंह अपनी प्रेग्नेंट पत्नी को लेबर पेन होने के बाद एक-एक करके 8 अस्पतालों में लेकर गए, लेकिन किसी ने कोरोना की वजह से भर्ती नहीं किया। आखिरकार 15 घंटे बाद उनकी पत्नी की मौत हो गई।
कुछ ऐसा हीपापुआ न्यू गिनी में भी हुआ था। वहां एक प्रेग्नेंट महिला इलाज के लिए अस्पताल पहुंची, उसे ब्लड प्रेशर की शिकायत थी।अस्पताल वालों ने कोरोना के डर से उसे भर्ती ही नहीं किया। कुछ दिनों बाद वह अंधी हो गई और उसका बच्चा भीनहीं बच सका।
कोरोनाकाल में इस तरह के कई वाकये सामने आए हैं।संक्रमण के डर से कई महिलाओं ने अस्पताल जाने की बजाए घर मेंही डिलिवरी का प्लान बनाया जो बाद में उनके लिए मुसीबत साबित हुआ। हाल ही में बांग्लादेश के ढाका में इस तरह का मामला सामने आया था।
ग्रामीण और स्लम एरिया में रहने वाली महिलाओं को इस दौरान सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वजह, सरकारी अस्पतालों में कोरोना के कारण जगह नहीं मिलना या बेड उपलब्ध नहीं होना है। यहां तक कि उन्हें लोकल ट्रीटमेंट भी नहीं मिल सका।
संक्रमण के डर से दुनिया के कई विशेषज्ञ कुछ समय के लिए प्रेग्नेंसी अवॉयड करने की सलाह दे रहे हैं। क्योंकि, संक्रमण का खतरा तो हैही साथ ही इस समयप्रॉपर इलाज भी नहीं मिल पा रहा है। इस समय पैदा होने वाले ज्यादातर बच्चों को टीका भी नहीं लग पा रहा है।
प्रेग्नेंट महिलाओं को इंटेंसिव केयर की जरूरत
प्रेगनेंसीके दौरान महिलाओं को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान ब्लड फ्लो, मेटाबोलिज्म और हार्ट रेट बढ़ जाता है। इसके साथ ही इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है। इस वजह से सांस लेने में तकलीफ, रेस्पिरेटरी डिसीज और इनफ्लुएंजा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
इस वजह सेमहिलाओं को इंटेंसिव केयर की जरूरत होती है। एक इंटरनेशनल स्टडीज के मुताबिक 96% कोरोना पॉजिटिव महिलाओं में निमोनिया के लक्षण पाए गए।
भारत में करीब 11 फीसदी प्रेग्नेंट महिलाएं आईसीयू में
सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने हाल ही में अमेरिका में कोरोना संक्रमित प्रेग्नेंट महिलाओं पर एक रिसर्च की है। इसके मुताबिक, 31% प्रेग्नेंट महिलाओं को कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इनमें से 1.5 % आईसीयू में और 0.5 फीसदी महिलाओं को वेंटिलेटर पर रखा गया। वहीं, इसके मुकाबले सिर्फ 6 फीसदी नॉन प्रेग्नेंट महिलाएं ही अस्पताल में दाखिल हुईं। अगर भारत की बात करें तो करीब 11 फीसदी प्रेग्नेंट महिलाओं को आईसीयू में रहना पड़ा।
प्रीमैच्योर डिलीवरी
कोरोना की वजह से ज्यादातर महिलाओं कोप्रीमैच्योर डिलीवरी फेस करना पड़ेगी। कोरोनाकाल से पहले दुनियाभर में करीब 13.6 फीसदीप्रीमैच्योर डिलीवरी होती थीं, लेकिन अब यह आंकड़ा दोगुना यानी 26% हो गया है।
11.6 करोड़बच्चों का जन्म कोरोनाकाल में हुआ
संक्रमित महिलाओं के बच्चों पर भी कोरोना का असर देखने को मिला है। जन्म के समय या उसके बाद मां से संपर्क में आने के कारण कई बच्चे पैदा होते ही संक्रमण का शिकार हो गए। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक 11.6 करोड़बच्चों का जन्म कोरोनाकाल में हुआ है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्मल डिलिवरी वाले 2.7 फीसदी बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जबकि जिन बच्चों का जन्म सिजेरियन के जरिए हुआ, उनमें 5% संक्रमित हुए। यानी लगभग 8 फीसदी बच्चे अपनी मां की वजह से कोरोना का शिकार हुए।
कोरोना का असर ब्रेस्ट फीडिंग पर भी हुआ है। संक्रमण के डर से मांएं अपने बच्चे को दूध नहीं पिला रहीं। इससे बच्चों के इम्यून सिस्टम पर असर पड़ सकता है। हालांकि, सीडीसी के अध्ययन के मुताबिक सुरक्षा के मानकों को ध्यान में रखकर ब्रेस्ट फीडिंग कराई जा सकतीहै।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोनाकाल में पैदा होने वाले करीब 8 % बच्चे रेस्पिरेटरी डिसीज का शिकार हुए हैं।
दुनियाभर में 4.7 करोड़ से ज्यादा अनवांटेड प्रेगनेंसी
कोरोनावायरस और लॉकडाउन के चलते कई महिलाएं अनवांटेड प्रेगनेंसी कीशिकार हो गईं। यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में4.7 करोड़से अधिक महिलाएं लॉकडाउन के कारण अनवांटेड प्रेगनेंसी की शिकार हुई हैं।
एफआरएचएस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 23 लाख महिलाओं को अनचाहा गर्भधारण करना पड़ा है।इसके पीछे मुख्य वजह लॉकडाउन के दौरान महिलाओं को बर्थ कंट्रोल और कॉन्ट्रासेप्टिवपिल्स की दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक, करीब 2 करोड़ कपल को इन मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
भारत में 10 फीसदी एबॉर्शन बढ़ेगा
भारत में हर साल करीब 1.5 करोड़ एबॉर्शन होते हैं।एक रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के चलते14 लाख एबॉर्शन के मामलेबढ़ेंगे। जिसमें 8 लाख से ज्यादा अनसेफ एबॉर्शन होंगे। करीब 18 सौ प्रेग्नेंट महिलाओं की जान भी जा सकती है। वहीं दुनियाभर में करीब 17 फीसदी मैटरनल डेथबढ़ने की आशंका है।
ऑनलाइन मेडिकल चेकअप
कोरोनाकी वजह से ज्यादातर गर्भवती महिलाएं ऑनलाइन मेडिकल चेकअप करा रही हैं। लॉकडाउन के दौरान वाहन नहीं मिलने से कई प्रेग्नेंट महिलाएं रेगुलर चेकअप के लिए अस्पताल नहीं पहुंच पाईं। उन्होंने ऑनलाइन मेडिकल सहायताऔर फोन पर डॉक्टरों की सलाह ली।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Vj4oO4
https://ift.tt/2AbR4Uu
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubt, please let me know.