कोरोना बीमारी कितनी भयावह है, राजनांदगांव के एक परिवार ने इसे करीब से देखा। परिवार के सभी 32 सदस्य संक्रमित हैं। इनमें से दो लोगों की मौत हो चुकी है। इसीपरिवार की एक महिला ने दैनिक भास्कर काे बताई आपबीती।
महिला ने बताया, 'कोरोना से मेरे पति और ससुर की मौत हो चुकी है। परिवार के सभी 32 सदस्य भी संक्रमित थे। हम जहां रहते हैं, वहां 43 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। एक साथ, एक ही दिन में 49 लोग पॉजिटिव थे। मैं खुद भी 10 दिन तक संक्रमण से जूझती रही हूं। इस बीच मेरे पति और ससुर की मौत हो गई।
जब ठीक होकर लौटी तो पति कीअस्थियों के तक दर्शन नहीं हो सके। परिवार के मुखिया के जाने के बाद जिंदगी में जो संघर्ष आएंगे वो तो अभी बाकी ही हैं, लेकिन उनके इलाज के लिए अपने ही शहर में जो संघर्ष करना पड़ा, उसे कभी नहीं भूल पाउंगी।'
पति संभालते थे पूरे परिवार की जिम्मेदारी
महिला ने बताया,'मेरा घर सेठीनगर में है। पूरे परिवार की जिम्मेदारी मेरे पति संभालते थे। वे बीमार होने पर भी रोज काम पर जा रहे थे। 12 अप्रैल को अचानक उन्होंने डॉक्टर के पास जाने की बात कही। निजी डॉक्टर के पास इलाज के लिए गए तो उन्होंने इसे वायरल फीवर बता दिया।
सुधार नहीं हुआ तो फिर 13 अप्रैल की सुबह उसी डॉक्टर के पास गए। तब उन्होंने मेडिकल कॉलेज हास्पिटल में इलाज कराने की बात कही। पूरे दिन तो पति की सेहत ठीक रही, लेकिन रात में अचानक सांस लेने में तकलीफ होने लगी।
14 अप्रैल की रात करीब 11 बजे हास्पिटल पहुंचे। तब किसी ने उन्हें छुआ तक नहीं। सभी उन्हें कोरोना का संदिग्ध बताते रहे। हम इलाज करने की मिन्नत करते रहे। टेस्ट कराने की बात कहकर सभी पीछे हट गए। कौन टेस्ट करेगा, ये किसी ने नहीं बताया।
रात करीब 1 बजे बिना इलाज के वापस घर लौटना पड़ गया। 15 अप्रैल को सुबह कोविड 19 हास्पिटल में कोरोना टेस्ट होने की बात कहकर बुलाया गया। सुबह 7.30 से 10.30 बजे तक बिठाए रखा। इसके बाद बताया कि टेस्ट बसंतपुर के हास्पिटल में होगा।
बीमार पति को लेकर बसंतपुर गई, जहां करीब दो घंटे इंतजार के बाद उन्हे आइसोलेशन वार्ड में दाखिल किया गया, इसी दौरान उनका सैंपल भी लिया, लेकिन अस्पताल में दाखिल होने के कुछ देर बाद ही उन्होंने दम तोड़ दिया। अगर समय पर इलाज शुरू कर देते तो शायद उनकी जान बच जाती।'
घर की महिला, बच्चे भी आए कोरोना की चपेट में
मेरे पति का चार भाइयों का परिवार हैं। सभी संयुक्त परिवार की तरह आसपास ही रहते हैं। रोजाना एक-दूसरे से मुलाकात होती है। इसी के चलते परिवार के 32 सदस्य कोरोना से संक्रमित हो गए। मैं खुद पूरे समय अपने पति के साथ रही। इसके चलते संक्रमण ने मुझे भी अपने चपेट में ले लिया। परिवार के बच्चे तक संक्रमित हो गए।
92 साल के ससुर ने इसी संक्रमण के चलते एम्स में दम तोड़ दिया
महिला ने बताया, 'जहां मेरे पति काम करते थे, वहां नागपुर से भी मेहमान आए थे। अकोला से आए दिन सामान पहुंचता। इसमें कई श्रमिक भी आते थे। दुकान में सोशल डिस्टेंसिंग तक की अनेदखी होती रही। यहीं से मेरे पति संक्रमित हुए। दुकान के मालिक की लापरवाही की वजह से दूसरे कर्मचारी भी पॉजिटिव हो गए। उन्होंने खुद होकर काम बंद नहीं कराया।
संक्रमण के खतरे के बाजवूद सभी को काम पर बुलाते रहे। मैंने अपना सबकुछ खो दिया है। इसलिए मैं चाहती हूं कि कोई भी इस बीमारी की अनदेखी न करे। सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखे। क्योंकि जरूरत पड़ने पर कोई भी आपकी मदद के लिए आगे नहीं आएगा। आपका सतर्क रहना बहुत जरूरी है।
घर के भीतर भी एक दूसरे से एक निश्चित दूरी, साफ-सफाई और सभी गाइडलाइन का पालन करना जरुरी है। तभी कोरोना से सुरक्षित रहा जा सकता है। पूरे परिवार के संक्रमित होने के बाद ऐसी समझ आ सकी है।'
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