आज 11 अगस्त और 12 अगस्त को पंचांग भेद के कारण दो दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी। मथुरा और द्वारिका में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जगन्नाथपुरी में 11 अगस्त की रात में ये पर्व मनाया जाएगा। बद्रीनाथ धाम में और जो लोग शैव संप्रदाय से जुड़े हैं, वे 11 को ही जन्माष्टमी मनाएंगे।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित मनीष शर्मा के अनुसार, इस साल 5247वीं जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इस संबंध में पंचांग भेद भी हैं। इस बार 60 वर्षों के बाद भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र और अष्टमी तिथि के साथ धनु राशि के गुरु ग्रह का योग बन रहा है।
विष्णु जी के आठवें अवतार श्रीकृष्ण 125 वर्ष पृथ्वी पर रहे। इस दौरान उन्होंने कंस जैसे अधर्मियों का वध किया। महाभारत युद्ध में पांडवों को जीत दिलाई। द्वारिका नगरी बसाई थी। इस तरह वे पृथ्वी पर करीब 125 वर्ष रहे और फिर अपने वैकुंठ धाम लौट गए।
चार धाम में से एक बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल के मुताबिक, 11 अगस्त को अद्वैत और स्मार्त संप्रदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे। 11 तारीख की सुबह 9.07 बजे से भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। ये तिथि 12 अगस्त की सुबह 11.17 बजे तक रहेगी। 11 अगस्त की रात में अष्टमी तिथि रहेगी। इस वजह से बद्रीनाथ धाम में 11 की रात में जन्माष्टमी मनाई जाएगी। क्योंकि, श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की रात में ही हुआ था।
वैष्णव संप्रदाय में उदयकालीन अष्टमी तिथि का महत्व है। इसीलिए इस संप्रदाय में 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। जबकि श्री संप्रदाय और निंबार्क संप्रदाय में रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाने की परंपरा है। इस वजह से ये लोग 13 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाएंगे।
60 साल बाद जन्माष्टमी पर तिथि, तारीख और नक्षत्र का अद्भुत योग
पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इस साल 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी, लेकिन इन दोनों तारीखों की रात में रोहिणी नक्षत्र नहीं रहेगा। इस समय गुरु अपनी स्वयं की राशि धनु में स्थित है। 11 अगस्त की रात 12 बजे भरणी नक्षत्र और 12 अगस्त की रात 12 बजे कृत्तिका नक्षत्र रहेगा।
ऐसा योग 60 वर्ष पहले 13 और 14 अगस्त 1960 को बना था। उस साल भी गुरु धनु राशि में था, 13 अगस्त की रात भरणी और 14 अगस्त की रात को कृत्तिका नक्षत्र था और जन्माष्टमी मनाई गई थी।
रोहिणी नक्षत्र में हुआ था श्रीकृष्ण का जन्म
द्वापर युग में श्रीकृष्ण का अवतार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में हुआ था। उस समय चंद्र उच्च राशि वृषभ में था। उस दिन बुधवार और रोहिणी नक्षत्र था। इस बार जन्माष्टमी पर ऐसा संयोग नहीं बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र 11 और 12 अगस्त को नहीं रहेगा। ये नक्षत्र 13 अगस्त को रहेगा।
लेकिन, जन्माष्टमी तिथि के हिसाब से मनाने की परंपरा है। इसीलिए 11 और 12 अगस्त को ये पर्व मनाया जाएगा। इस बार 12 अगस्त को जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। इस योग में पूजा-पाठ करने से जल्दी ही शुभ फल मिल सकते हैं। जन्माष्टमी अपने-अपने क्षेत्र के पंचांग और विद्वानों के मतानुसार मनाना श्रेष्ठ है।
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