ये पटना का वीरचंद पटेल पथ है... दोपहर के 12:30 बजे हैं। इस पथ की कुछ अलग खासियत है। बिहार की सभी प्रमुख सियासी पार्टियों के मुख्यालय यहीं पर हैं। यानी भाजपा, राजद, जदयू, रालोसपा, राकांपा आदि...। माना जाता है कि विधानसभा का रास्ता इस वीरचंद पटेल पथ से गुजरे बिना पूरा नहीं हो सकता। इसी सड़क पर राजद कार्यालय के ठीक सामने रायजी की लिट्टी-चोखा वाली दुकान है। दुकान पर वक्त के साथ मैले पड़ चुके दो स्टीकर लगे हैं। इनपर लिखा है- नालंदा की मशहूर लिट्टी-चोखा की दुकान। रेट 25 रुपए में दो पीस घी के साथ और 20 रुपए में दो पीस बिना घी के।
इस पथ की एक खासियत और भी है। सामने राजद, तो बाईं ओर जदयू और दाईं ओर भाजपा ऑफिस होने की वजह से यह दुकान कुछ-कुछ सर्वदलीय राजनीतिक जमावड़ा जैसी ज्यादा लगती है। हर दल के अमूमन हर नेता और कार्यकर्ता का यह प्रिय ठिकाना है। गेट के अंदर जाकर अपनी बात पहुंचाने में सफल और विफल दोनों ही तरह के लोग यहां मिलेंगे। कभी अपनी खुशी का इजहार करते तो कभी अपनी भड़ास निकालते हुए। कभी-कभी तो सभी दल वाले यहां एक-दूसरे का कंधा इस्तेमाल करते दिख जाते हैं।
तो रायजी की लिट्टी आज भी पक रही है। कुछ लोग इंतजार कर रहे हैं। इस इंतजार में जो बेसब्री है, उसने अंदर का ताप बढ़ा दिया है। एक नेताजी बोले हैं- ‘का रायजी, आपकी लिट्टियों में अंदर मने आग सुलग रही है... मने आंच ही नहीं है... कब पकेगा लिट्टी जी। कब से इंतजार कर रहे हैं। एकदम पार्टी सबन क टिकस हो गइल बा। बुझाते नइखे कि चुनाव तक भी टिकट फाइनल होई कि नहीं।’
तत्काल तीखा प्रतिवाद हुआ है... ये बख्तियारपुर के राजेश हैं। जोरदार आवाज में बोले- 'लागत आ कि गलत पार्टी चुन लिए हैं जी। अभियो मौका है...देख लीजिये, राय जी की लिट्टी की आंच को दोष काहे दे रहे हैं। इनका चूल्हा भी दुरुस्त है, गोइठा भी... आंच की तो बाते न कीजिये।’ राय जी मुस्करा के रह गये हैं।
लिट्टी की पहली खेप तैयार हो चुकी है। गोइठा की धीमी आंच पर जिस तरह लिट्टी अंदर तक पक चुकी है, बातें भी धीमे-धीमे पकने लगी हैं।
लिट्टी को अपने अंदाज में बीच से फोड़ चुके एक नेता नुमा सज्जन बोले- ‘का हो राय जी, एमे घी एतना कम काहे बा। अरे जेतना घी डलब ओतने दुकनिया गमकी, नहीं त... (एक पार्टी का नाम) जैसन हाल तोहरो हो जाई...’।
एक दूसरा स्वर... अबकी हमार नेतवा के टिकट मिल जाई नु त बहुते काम ठीक हो जाई... नेताजी के लिबास से लग रहा है कि वो असल वाले नेता जी तो नहीं ही हैं। जरूर किसी के साथ पटना पहुंचे हैं। पटनिया भाषा में इन्हें ‘लटकन’ कहा जाता है। भाषा से लग रहा है सासाराम की तरफ के होंगे और जरूर किसी नेता की भीड़ का हिस्सा बन कर आए हैं। बात अभी थमी नहीं है। बोले- ‘अबकी त अशोकवे पूरा गेम खराब कर देले बा, ना त उ सीट प आरजेडीय के हक रहे...’ उनके साथ आया कार्यकर्ता बोल पड़ा- ‘सब तेजस्वीए नु तय करतारे, तब हमनी के नेता जी त मजबूत बाड़े...’
लिट्टी की पहली खेप खत्म हो चुकी है, लेकिन दूसरी खेप पकने को तैयार है। मेरे साथ खड़े मनीष बोले- 'काश कि पुरनका नेतवन सब भी इसी तरह बैकअप ले के चलता तो राजनीति में ऐसी क्राइसिस न होती।' लिट्टी के लिए भीड़ भी बढ़ने लगी है। अचानक रायजी की तेज आवाज आई... 'अरे महेंदरा, ई आग बुता जाएगा नु... इसमें बैगन काहे नहीं रखता है रे... लड़का देखने से तो माइनर लगा... लेकिन चूल्हे पर बैगन बहुत सलीके से रखने लगा है...।'
कुर्ते पर कमल वाला बैच लगाए कुछ नेता आ चुके हैं। एक के कंधे पर गेरुए रंग का गमछा भी है। बगल वाली दुकान से तुलसी और पान मसाला मांगा गया... गमछे से आवाज आई, जानते हैं भइया, सब लोग दिल्ली चल गए हैं... अब यहां कोई नहीं है... हम लोग बेकारे यहां बइठले हैं... तभी गुटखा वाला नेता बोला- 'पगला गये हैं का जी! हम लोग भी चले जाएंगे तब तो खेले सब बिगड़ जाएगा ...अरे अध्यक्षे जी न गए हैं, बाकी त इहे हैं। सब लोग के प्रणाम कर लेना है। तुमको पता है विजय निकेतन (आरएसएस) से भी सीट फाइनल होगा।'
मेरे मुंह से अचानक निकल गया, अब भाजपा में आरएसएस का कहां चलता है। बातचीत में एक अपरिचित एंट्री देख सब चुप हो गए। मुझे भी अपनी चूक का अहसास हो चुका था। आश्चर्य से मेरी ओर देखते हुए इशारों में ही जैसे पूछा हो- आप कौन?
मैंने कहा- मैं तो लिट्टी-चोखा खाने आया हूं। सुने हैं बड़ा बढ़िया लिट्टी खिलाता है।
गेरुआ गमछे वाले ने कहा- 'लिट्टी खाने आए हैं त लिट्टीये न खाया जाए भाई जी...। आरएसएस के ताकत के बारे आप क्या जानिएगा! आपको पता भी है, वहां जाकर बड़का बड़का नेता लोग भी अपना मत्था टेकते हैं ...ई जो गिरिराज सिंह, रवि शंकर, सुशील मोदी हैं ना, वहां जाकर भुइयां में बैठते हैं।' बात आगे बढ़ती कि अचानक लिट्टी उनके सामने रख दी गई। सब अपने हिस्से की लिट्टी खाने में मगन हो गये। मैंने भी धीरे से रास्ता पकड़ लिया।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3d4LHVS
https://ift.tt/2GmTYJc
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubt, please let me know.