शनिवार, 23 मई 2020

देश की इकलौती घुड़सवार सेना जल्द खत्म होगी; 232 घोड़े जयपुर से दिल्ली भेजे जाएंगे, इनकी जगह आर्म्ड टैंक लेंगे

विजय पथ से राजपथ तक गणतंत्र दिवस की परेड का आगाज हो या सेना दिवस परेड की अगवानी...भारतीय सेना की जयपुर स्थित देश की एकमात्र घुड़सवार सेना (61 कैवलरी) में घोड़ों की टाप हर भारतीय के जहन में अनमोल विरासत के तौर पर दर्ज है। मगर जल्द ही इसे खत्म करके नई आर्म्ड रेजीमेंट में तब्दील करने की तैयारी है। हाल ही में आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे ने इस प्रस्ताव की जानकारी दी थी।

इसके पीछे कोविड 19 के कारण कॉस्ट कटिंग का हवाला दिया जा रहा है। दरअसल, 2016 में ले. जनरल डीबी शेकाटकर के नेतृत्व में गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर यह प्रस्ताव दिया गया है। इस कैवलरी के 232 घाेड़ाें काे जयपुर से दिल्ली भेजा जाएगा, जिनका इस्तेमाल सिर्फ खास सेरेमाेनियल माैकाें पर हाेगा। ऐसे में सेना के पास प्रेजीडेंट्स बाॅडी गार्ड्स के रूप में सिर्फ एक घुड़सवार इकाई रह जाएगी।

उपलब्धियांः11 अर्जुन अवॉर्ड और 10 एशियन गेम्स अवॉर्ड जीत चुकी
पाेलाे और इक्वेस्ट्रियन स्पाेर्ट्स प्रमाेट करने के उद्देश्य से बनाई गई 61 कैवलरी ने इन गेम्स में 11 अर्जुन अवाॅर्ड और 10 एशियन गेम्स अवाॅर्ड जीते। 2011 और 2017 की वर्ल्ड पाेलाे चैम्पियनशिप में पहला स्थान जीता। 1971 के इंडाे-पाक युद्ध और 1961 के ऑपरेशन विजय में भी बड़ी भूमिका निभाई थी।

आगे की योजनाः सेना सशक्तिकरण के लिए नए अर्जुन टैंक बनवा रही
रिपाेर्ट्स के अनुसार, सेना सशक्तिकरण के लिए नए T-90 और अर्जुन टैंक तैयार किए जा रहे हैं। ऐसे में नए आर्म्ड रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर काे जयपुर में तीन इंडिपेंडेंट T-72 टैंक स्क्वाड्रन की कमांड और कंट्राेल दिया जाएगा। 61 कैवलरी को इसी नई आर्म्ड रेजीमेंट में मर्ज करने की तैयारी है।

67 साल पहले शुरुआतः मराठा, राजपूत व कैमखनी मुस्लिम ही भर्ती होते थे

1951 में कैवलरी यूनिट काे ग्वालियर लांसर्स, मैसूर लांसर्स, सेकंड पटियाला लांसर्स, जाेधपुर कच्छवाहा लांसर्स और बी स्क्वाड्रन में तब्दील किया गया। 1953 में इन सभी काे 61 कैवलरी रेजीमेंट का हिस्सा बनाया गया। बता दें कि रेजीमेंट की खास परंपराओंकाे जीवित रखने के लिए पंडित नेहरू के आदेश के मुताबिक, इस रेजीमेंट में सिर्फ मराठा, राजपूत और कैमखनी मुस्लिम की नियुक्ति हाे सकती थी।

विरोधः घोड़े दिल्ली भेजने का कोई औचित्य नहीं, कितनी बचत होगी?

  • जयपुर में इन घाेड़ाें के लिए देश के सबसे उम्दा स्टेबल हैं। उन्हें दिल्ली भेजने का काेई औचित्य नहीं दिखता। ये रेजीमेंट कई भारतीय वंशाें व राजघरानाें से जुड़ी थी। इसे मर्ज करने से आखिर सेना की कितनी बचत हाे जाएगी।- कर्नल एचएस (बिली) साेढ़ी, 61 कैवलरी रेजीमेंट के सबसे पुराने सदस्य
  • 61 कैवलरी ने सेना की बाकी इकाइयाें के मुकाबले सबसे ज्यादा मेडल जीते हैं और वाे भी न्यूनतम संसाधनाें के साथ। काॅस्ट कटिंग के नाम पर हटाने से सेना की विरासत से जुड़ी अहम कड़ी टूटेगी।- कर्नल राजेश पट्टू, 61 कैवलरी के कमांडिंग ऑफिसर रह चुके हैं।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
इस कैवलरी के 232 घाेड़ाें काे जयपुर से दिल्ली भेजा जाएगा, जिनका इस्तेमाल सिर्फ खास सेरेमाेनियल माैकाें पर हाेगा।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2yw3rtK
https://ift.tt/2TwwYKU

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubt, please let me know.

Popular Post