बिजनेस डेस्क.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में 20 लाख करोड़ रुपए का राहत पैकेज जारी किया था। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को इस पैकेज से अलग-अलग सेक्टर के लिए राहत का ऐलान किया। इसमें उन्होंने इन दिनों मुश्किल हालातों से गुजर रहीं राज्यों की पावर जनरेटिंग कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए 90,000 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया। इससे डिस्कॉम यानी पावर जनरेटिंग कंपनियों को फायदा मिलेगा। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिजली कंपनियां पहले से बहुत ज्यादा गहरे संकट में हैं। बिजली कंपनियों का डिस्कॉम्स पर 94,000 करोड़ रुपए का बकाया है।
- कॉन्ट्रैक्टर को 6 महीने की राहत बिना किसी शर्त के दी जाएगी
दरअसल, पिछले दोनों लॉकडाउन, कोरोनावायरस आदि के चलते बिजली वितरण कंपनियों की आय में भारी कमी आई है। इसके चलते बिजली उत्पादन और वितरण करने वाली कंपनियों के लिए यह प्रावधान किया गया है। 90 हजार करोड़ रुपए सरकारी कंपनियों पीएफसी, आरईसी के माध्यम से दिया जाएगा। इससे राज्य सरकारें इन कंपनियों को काम की गारंटी भी दे सकेंगी। कॉन्ट्रैक्टर को 6 महीने की राहत बिना किसी शर्त के दी जाएगी।
सीतारमण ने कहा कि डिस्कॉम अभी आसाधारण कैश फ्लो के प्रवाह से गुजर रही हैं। ऐसे में इन्हें मदद की जरूरत है। हम चाहते हैं कि यह फायदे कंज्यूमर्स तक सीधे पहुंचे।
- पॉवर जेनरेशन कंपनियों, ट्रांसमिशन कंपनियों, निजी कंपनियां को पेमेंट किया जा सकेगा
इस एक बार के लिक्विडिटी इन्फ्यूजन से सेंट्रल पब्लिक सेक्टर की पॉवर जेनरेशन कंपनियों, ट्रांसमिशन कंपनियों, निजी कंपनियां और रिन्यूवल एनर्जी जेनरेटर्स को पेमेंट किया जा सकेगा। राज्य सरकारों द्वारा संचालित पीएफसी और आरईसी के पास छह लाख करोड़ रुपए की संपत्ति है। ये पॉवर सेक्टर की सबसे बड़ी कर्ज देने वाली कंपनियां हैं।
- 10 राज्यों ने करीब एक तिहाई पॉवर सप्लाई अपने उपभोक्ताओं के वितरण में गंवाई है
केंद्र सरकार के राहत पैकेज का आइडिया संबंधित राज्य सरकारों द्वारा गारंटीकृत रियायती ऋणों के साथ बैकलॉग भुगतान को मंजूरी देने के लिए भी है। दरअसल, ऊर्जा की खपत, खास तौर पर बिजली और रिफाइनरी उत्पाद आमतौर पर अर्थव्यवस्था में डिमांड जुड़े होते हैं। 10 राज्यों ने करीब एक तिहाई पॉवर सप्लाई अपने उपभोक्ताओं के वितरण में गंवाई है। इसके चलते कंपनियों के ऊपर बकाया बढ़ गया है। इसके साथ उन कंपनियों को लोन देने वाली बैंकिंग सेक्टर पर भी असर पड़ा है।
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