कोरोनावायरस महामारी के बीच केरल में जब 1 जून से नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुई, तबकक्षा में न तो घंटी बजी और न ही नए बच्चों के स्वागत के लिए कोई खास कार्यक्रम हुआ। इस बार कक्षा पहलीसे 12वीं तक के लाखों बच्चेअपने घर में ही टीवी के जरिए ही पढ़ाई कर रहे हैं। राज्य सरकार की कोशिश रही कि लॉकडाउन का उल्लंघन किए बिना स्कूली पढ़ाई को जारी रखा जाए।
इस ऑनलाइन क्लास का नाम 'फर्स्ट बेल' रखा गया है जिसका टेलीकास्टराज्य सरकार के एजुकेशनल टीवी चैनल विक्टर्स पर केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर टेक्निकल एजुकेशन (KITE) के माध्यम से किया गया। इस चैनल की शुरुआत जुलाई 2005 में हुई थी। तब पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने इसका उद्घाटन किया था।
ऑनलाइन क्लास की सुविधा नहीं मिली तो किया सुसाइड...
मल्लपुरम की रहने वाली 9वीं की छात्रा देविका ऑनलाइन क्लास नहीं कर पाई। उसके घर का टीवी काम नहीं कर रहा था। उसकाफोन भी चार्ज नहीं था। क्लास नहीं करने की वजह से वह डिप्रेशन में आगई और आत्महत्या कर ली।
केरल में करीब 45 लाख ऐसे बच्चे हैं जिनके पास टीवी और स्मार्टफोनहैं और वे ऑनलाइन क्लास करने में सक्षम हैं। लेकिन,2.61 लाख बच्चे ऐसे भी हैं जिनके पास न तो टीवी है। न ही स्मार्टफोन। खासकरग्रामीण और ट्राइबल इलाकों में बच्चों के पास ऑनलाइन क्लास करने की सुविधा नहीं है।
इस घटना के बाद यूथ ऑर्गेनाइजेशन टीवी चैलेंज नाम का एक आइडिया लेकर आया है। इस स्कीम में कोई भी अपने घर में मौजूद एक्स्ट्रा टीवी, टैबलेट या स्मार्टफोन दान दे सकता है। ये नया भी हो सकता है और इस्तेमाल किया हुआ भी। ऑर्गनाइजेशन से जुड़े वॉलंटियर आपके घर आएंगे और ये टीवी या फोन जरूरतमंद बच्चों को पहुंचा देंगे।
डीवायएफआई संगठन के शाइन कुमार के मुताबिक, इस प्रयास के तहत अभी तक हमारे इलाके से एक हफ्ते में 14 टीवी इकट्ठे किए जा चुके हैं। उनमें से दो पुराने हैं लेकिन काम कर रहे हैं। बाकी सभी नए हैं। इन्हें लाइब्रेरी, रीडिंग रूम्स और पब्लिक हॉल को दिया जाएगा जहां बच्चे पढ़ाई कर सकें।
सोशल मीडिया पर हो रही तारीफ
सोशल मीडिया पर ऑनलाइन क्लास को काफी सराहा जा रहा है। छात्र और माता-पितादोनों ही इसकी तारीफ कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऑनलाइन क्लास के वीडियो लेक्चर्स वायरल हो रहे हैं। काफी संख्या में लोग इसे शेयर कर रहे हैं। इस दौरान कुछ शिक्षक तो रातों-रात सेलेब्रिटी बन गए हैं।
कोझिकोड की रहने वालीं साय स्वेता का लेक्चर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं।
काइट के सीईओ अनवर सदथ ने बताया 'हम इस ऑनलाइन क्लास को लॉन्च करने में इसलिए सफल हो पाए क्योंकि हमारे पास पहले सुविधाएं मौजूदथीं। हमें कोरोनाकाल के संकट में ज्यादा परेशानी नहीं हुई। इसके लिए 70 हजार प्रोजेक्टर्स, 4 हजार 545 टीवी सेट्स और लैपटॉप का उपयोग किया गया।'
राज्य सरकार ने स्थानीय प्रशासन को आदेश दिया था कि वे सभी को ऑनलाइन क्लास की सुविधा उपलब्ध कराएं। जिनके पास टीवी और ऑनलाइन क्लास करने की सुविधा नहीं है उनके लिए व्यवस्था करें। इसके लिए स्कूलों में मौजूद आईटी डिवाइसेज का भी उपयोग किया जा सकता है।
यूट्यूब पर भी देखा जा सकता है वीडियो
अनवर ने बताया कि दो हफ्ते के लिए ट्रायल के रूप में ऑनलाइन कक्षा की शुरुआत की गई है। ताकि, कोई खामी दिखे तो उसे ठीक कर लिया जाए।
उन्होंने बताया कि एक बार ऑनलाइन क्लास होने के बाद इसका रिपीट टेलिकास्ट भी होगा। साथ ही यूट्यूब पर भी इसके वीडियो अपलोड होंगे। जल्द ही इसे डीटीएच और दूसरे केबल सर्विस प्रोवाइडर्स पर भी उपलब्ध काराया जाएगा। उन्होंने बताया कि लक्षदीप में जहां केरल का सिलेबस लागू है वहां 34 स्कूलों के 7 हजार 472 बच्चों को इस ऑनलाइन क्लास का फायदा मिला।
दूसरे भाषा के छात्रों को भी होगा फायदा
ऑनलाइन क्लास विक्टर्स पर मलयालम भाषा में है। अनवर ने बताया कि राज्य में ऐसे भी बच्चे हैं जिनकी भाषाएं अलग- अलग हैं। खासकर प्रवासी मजदूरों के बच्चे जो केरल के सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। इसलिए हमने प्लान किया है कि यूट्यूब पर जबवीडियो अपलोड हो तो इन बच्चों को भाषाई स्तर पर मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े।
उन्होंने बताया कि यूट्यूब पर जो वीडियो अपलोड किए गए हैं उनको बेहतर रिसपॉन्स मिल रहा है। 39 लाखलोग यूट्यूब पर देख चुके हैं। इससे पता चलता है कि बच्चों और उनके माता-पिताके साथ-साथ दूसरे लोग भी वीडियो देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि जनता के पास सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के स्किल्स को भी समझने का मौका है।
सीबीएसई के स्कूल इंटरनेट पर निर्भर
सरकारी स्कूल के बच्चो के लिए तो टीवी चैनल है, लेकिन सीबीएसई के बच्चों के लिए इंटरनेट ही सहारा है। हालांकि, इंटरनेट एक बेहतर और आधुनिक माध्यम है, लेकिन कई बार दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। इसके लिए शिक्षक और छात्र दोनों के पास इंटरनेट की बेहतर उपलब्धता और अच्छी स्पीड होनी चाहिए।
एक अभिभावक राजेश पी जोस ने बताया कि सीबीएसई के पास कोई चैनल नहीं है इसलिए बच्चों को मोबाइल पर क्लास करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि क्लास खत्म होने के बाद बच्चे मोबाइल पर क्या देखते हैं और कौन सी वेबसाइट पर जाते हैं, इसका ध्यान रखना मुश्किल है।
सीबीएसई स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष टीपीएम इब्राहिम ने का कहना है किकेंद्र सरकार को एनसीईआरटी की तरह ही टीवी चैनलउपलब्ध कराने चाहिए।
कोच्चिके एक थिंक टैंक (सीपीपीआर) के चेयरमैन डॉ. डी धनु राज का मानना है कि ऑनलाइन क्लास वास्तविक कक्षा की जगह नहीं ले सकता है। यह सिर्फ एक विकल्प है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में तो ऑनलाइन कोर्सेज को स्वीकार कर लिया गया है, लेकिन स्कूली शिक्षा में यह कारगर नहीं हो सका है।
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