‘घर से बाहर जूते-चप्पल उतारना... बाहर ही हाथ-पैर धोना... और फिर घर में प्रवेश।’ गांव की मानी जाने वाली ये आदतें कोरोना संकट में शहरों की भी जरूरत बन गई हैं। इसे देखते हुए देश के कई नामी रियल एस्टेट डेवलपर नए प्रोजेक्ट्स में कोरोना के चलते आए बदलावों के आधार पर डिजाइन तैयार कर रहे हैं। वे वर्क फ्राॅम होम के लिए 2 या 3 बीएचके की बजाय 2.5 और3.5 बीएचके की प्लानिंग पर काम कर रहे हैं। इसमें आधा कमरा सिर्फ ऑफिस स्पेस के लिए रहेगा।
देश के तीन रियल एस्टेट समूह और दाे अर्बन प्लानर बता रहे हैं कैसे बदलेंगे घर
- हाउस ऑफ हीरानंदानी के एमडी सुरेंद्र हीरानंदानी मुंबई, बेंगलुरू व चेन्नई में वर्क फ्रॉम होम के हिसाब से अपार्टमेंट वाले प्रोजेक्ट्स में बदलाव किया है। घर से बाहर अतिरिक्त वॉशरूम रखा है। टाउनशिप में हाईस्पीड इंटरनेट वाला स्मार्ट सिक्यूरिटी सिस्टम होगा।
- बेनेट और बर्नार्ड समूह अध्यक्ष लिंकन रॉड्रिक्स बताते हैं किगोवा के विक्ट्री गार्डन प्रोजेक्ट में शहरी खेती यानी हाइड्रोपोनिक्स फार्म्स बनाए हैं। इससे घर में सब्जी-फल उगा सकेंगे। बाहर जूते रखने व सैनिटाइज का स्थान बना रहे हैं। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए नल फिटिंग तांबे की होगी।
- असनानी समूह के डायरेक्टरदीपेश असनानीने बताया किबड़ी कॉलोनी के बजाय छोटे क्लस्टर की प्लानिंग कर रहे हैं। 100 से 200 मकानों के क्लस्टर के बीच एक एंट्रेंस, पार्क और क्लब हाउस होगा। इससे कोरोना से निपटना आसान होगा और बड़ा क्षेत्र भी प्रभावित नहीं होगा।
- भोपाल के अर्बन प्लानरप्रवीण भागवत की मानें तोकोरोना के हिसाब से नक्शा, हाेम थिएटर का काॅन्सेप्ट: 1500 वर्गफीट प्लाॅट के लिए नया नक्शा बनाया है। मध्य में भी छत खुली रखी है। लाेग मल्टीप्लेक्स से बचेंगे, इसलिए हाेम थिएटर की जगह निकाली।
- सेप्ट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शाश्वत बंदोपाध्याय ने बताया किकेंद्र भी अर्बन प्लानिंग में बदलाव कर रहा: केंद्र कोरोना के हिसाब से अर्बन प्लानिंग बदल रही है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स यह काम कर रहा है। सुझाव मंगाए गए हैं।
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