सोमवार, 22 जून 2020

कनाडा में 5 लाख पंजाबी और 1 लाख से ज्यादा पंजाबी स्टूडेंट्स जीआईसी मनी के सहारे, 20 घंटे का घोषित काम भी नहीं मिल रहा

कनाडा में करीब 10 लाख भारतीयों में से 5 लाख से ज्यादा पंजाबी हैं। कोरोना काल में सरकार ने ये नियमबनाया कि लीगल प्रोफेशनल्स को 70 से 75% तक सैलरी मिलती रहे पर विदेशी स्टूडेंट्स को ज्यादा मदद नहीं मिल पाई। 1 लाख से ज्यादा पंजाबी स्टूडेंट्स यहां जीआईसी (गारंटी इन्वेस्टमेंट सर्टिफिकेट) मनी के सहारे हैं यानि वह पैसा जो उनके अभिभावकों ने सरकार को जमा करवा रखा है।

इन स्टूडेंट्स को जो 20 घंटे काम करने का मौका मिलता था। वह कोरोना के कारण बंद हो गया, खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया। सरकार की स्कीम का 20% स्टूडेंट्स को ही फायदा मिल पाया। 10 प्रोविंस वाले कनाडा के 4 प्रोविंस ब्रिटिश कोलंबिया, ओंटारियो, क्यूबेक और अलबर्टा में भारतीय सबसे ज्यादा हैं।

3 साल पहले मोगा से स्टडी वीजा पर टोरंटो गए आकाश शर्मा ने बताया कि कोरोना फैलने पर सरकार ने विदेशी स्टूडेंट्स 40 घंटे तक वर्किंग की इजाजत दी पर काम बंद हो गए। अब धीरे-धीरे काम शुरू होने लगा है। अमन ने बताया कि टोरंटो के एक घर की बेसमेंट में 3 स्टूडेंट 1100 डॉलर देकर रह रहे हैं।

रूम शेयर करने के बावजूद भारतीय करंसी के हिसाब से एक स्टूडेंट के 20 हजार रुपए किराये के ही निकल जाते हैं। कनाडा में मिनिमम वेज 11.06 डॉलर प्रति घंटा है, जोकि भारतीय करंसी के हिसाब से करीब 619 रुपए बनती है।

अड़चन- इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को 12 महीने में 5000 डॉलर कमाने की शर्त के कारण नहीं मिल पाया सरकारी मदद का लाभ

ब्रिटिश कोलंबिया में एमबीए कर रही रूबी भाटिया ने बताया कि ट्रूडो सरकार ने स्टूडेंट्स की भी आर्थिक मदद की पर इसका फायदा 20 फीसदी से ज्यादा इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को नहीं मिल पाया। 2000 कैनेडियन डॉलर देने के लिए सरकार ने शर्त रखी कि विदेशी स्टूडेंट की उम्र 15 साल या इससे अधिक हो और वह इस समय कनाडा में रह रहा हो।

दूसरा वह जिस कंपनी में काम कर रहा था, वह कंपनी कोविड-19 के कारण बंद हुई हो। स्टूडेंट ने अगर अपनी मर्जी से कंपनी में काम छोड़ा है तो लाभ नहीं मिलेगा। तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह थी कि स्टूडेंट ने पिछले 12 महीने में कम से कम 5000 कैनेडियन डॉलर की अर्निंग की हो।

कनाडा में रहकर पढ़ाई कर रहे ज्यादातर छात्र एक साल में 5000 डॉलर की कमाई की शर्त पूरी नहीं कर पाए और सरकार की आर्थिक मदद से वंचित रह गए।

काम बंद होने के कारण वर्कर्स की टेंपरेरी सस्पेंशन

कोरोना बढ़ने पर ट्रूडो सरकार ने सबसे पहले अमेरिका के साथ लगता दुनिया का सबसे विशाल 6416 किमी लंबा बॉर्डर गैर-जरूरी आवाजाही के लिए सील किया और फिर 82 बिलियन कनाडियन डॉलर का पैकेज जारी किया। स्कूल, रेस्टोरेंट, होटल और बार बंद कर सरकार ने लोगों को घरों में रहने के लिए कहा और बेरोजगारी की सभी शर्तें पूरी नहीं करने वालों को भी दो हफ्ते के 900 डॉलर तक दिए।

बैंक ऑफ कैनेडा ने महीने में दो बार ब्याज दर कम कर कर्ज लेने वालों को राहत दी। संजय जांगड़ा ने बताया कि वर्क परमिट वालों को 2000 डॉलर मिलने से ज्यादा परेशानी नहीं आई। काम बंद होने पर लोगों को टेंपरेरी सस्पेंशन दी गई।

यानी जैसे ही हालात सामान्य होंगे, लोगों को दोबारा काम पर बुला लिया जाएगा। जिन लोगों के बिजनेस प्रभावित हुए हैं, उन्हें 40 हजार डॉलर तक लोन का प्रावधान है। ओटावा और कई अन्य जगहों के अस्पतालों में पार्किंग सर्विस कुछ समय के लिए फ्री की गई।

एक दशक में 35 लाख रिटायरमेंट से कामगारों के लिए अवसर
आईटी प्रोफेशनल रमेश सूरी ने बताया कि एक दशक में कनाडा के करीब 35 लाख लोग रिटायर हो जाएंगे। ऐसे में भारत जैसे देशों के कामगारों के लिए कनाडा बेहतरीन वर्किंग प्लेस हो सकता है। कनाडा की इकोनॉमी को जीवंत रखने के लिए सरकार को भी विदेशी कामगारों की जरूरत है।

कनाडा में 65 साल या उससे ज्यादा उम्र के बुजुर्गों की संख्या इस समय 16% है जोकि 10 साल में बढ़कर 21% हो जाएगी। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। सरकार इस बात को समझती है और कोरोना की रोकथाम के बाद कनाडा में विदेशी प्रोफेशनल्स की एंट्री बढ़ाने को कदम उठा सकती है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
कनाडा में रहकर पढ़ाई कर रहे ज्यादातर छात्र एक साल में 5000 डॉलर की कमाई की शर्त पूरी नहीं कर पाए और सरकार की आर्थिक मदद से वंचित रह गए। -फाइल फोटो।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2YVEBfN
https://ift.tt/3hVFzBJ

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubt, please let me know.

Popular Post