गुरुवार, 21 मई 2020

तमिलनाडु के 8000 मंदिरों में एक समय पूजा, उत्तराखंड में मंदिर खुले लेकिन आमदनी बंद

देश में लॉकडाउन के कारण मंदिरों और धार्मिक शहरों की अर्थव्यवस्था चरमराने लगी है। तमिलनाडु के 8000 छोटे और मध्यम मंदिरों में अब एक समय पूजा हो रही है। मंदिरों में दान की आवक ना होने के कारण सरकार से मांग की जा रही है कि इनके बिजली बिल माफ किए जाएं।

उत्तराखंड में चारधाम सहित पहाड़ों पर मौजूद 100 से ज्यादा मंदिर खुल गए हैं, लेकिन यहां हर साल श्रद्धालुओं का जो जमघट होता है, वो नदारद है। उत्तराखंड सरकार लोगों से टूरिज्म को बूस्ट करने के लिए सुझाव मांग रही है।

दान के अभाव में मंदिरों की आर्थिक स्थिति खराब

ऐसी ही स्थिति, देश के लगभग हर उस मंदिर और शहर की है, जिनकी अर्थव्यवस्था का आधार पर्यटन है। तमिलनाडु में ऐसे हजारों मंदिरों में होने वाली सेवाएं जो पहले दिनभर में 2 से 5 बार होती थीं, अब एक बार ही हो पा रही हैं। दान के अभाव में इन मंदिरों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है।

लॉकडाउन 31 मई तक बढ़ने के बाद मंदिरों को जल्दी सुधार की उम्मीद भी नहीं है। पूरे देश में स्थिति सामान्य होने में लंबा वक्त लगने का अनुमान है, तभी टूरिज्म सेक्टर में सुधार हो सकता है। कई धार्मिक शहर लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए हैं। इनमें उत्तराखंड, तमिलनाडु, कर्नाटक, मप्र के उज्जैन, महाराष्ट्र के नासिक, बिहार के गया जैसे कई शहर शामिल हैं।

दक्षिण भारत क्षेत्र में तमिलनाडु धर्म की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। यहां छोटे-बड़े कुल मिलाकर 10 हजार से ज्यादा मंदिर है। वहीं 65 हजार पुजारियों के परिवार यहां मंदिरों पर आश्रित हैं।
  • तमिलनाडुः पुजारियों को एक हजार रुपए की राहत

तमिलनाडु में मंदिरों की खस्ता हालत को देखते हुए सरकार ने करीब 65 हजार ग्रामीण पुजारियों को एक-एक हजार रुपए की राहत राशि दी है। बड़े मंदिरों में दान ज्यादा आने के कारण व्यवस्थाएं सामान्य रूप से चल रही हैं, लेकिन छोटे मंदिरों की स्थिति वैसी नहीं है। पुजारी संगठन के अध्यक्ष पी. वासु के मुताबिक राहत राशि ग्रामीण पुजारियों को दी गई है। लेकिन मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं है, यहां से कई लोगों के घर चलते हैं। जो राहत राशि दी गई है, वो भी कम है। ये बढ़ानी चाहिए।

  • उत्तराखंडः मंदिर खुल गए, लेकिन भक्त नहीं आ सकते

अप्रैल से जून तक का समय सामान्यतः उत्तराखंड के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान चारधाम मंदिरों के कपाट खुलते हैं और हर साल 8 से 10 लाख लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। इस साल लॉकडाउन के कारण उत्तराखंड टूरिज्म पूरी तरह चरमरा गया है।

उत्तराखंड सरकार ने टूरिज्म बढ़ाने के लिए सुझाव मांगे

हरिद्वार से 400 किमी आगे तक उत्तराखंड में केदारनाथ, बद्रीनाथ जैसे बड़े तीर्थ हैं। यहां ट्रेवलिंग, रॉफ्टिंग, होटल और टूर गाइड जैसे काम बंद पड़े हैं। हाल ही में, उत्तराखंड टूरिज्म ने यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हेल्थ सेक्टर से जुड़े कामों जैसे योग, आयुर्वेद, पंचकर्म आदि को बढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया है। यहां रिलिजियस टूरिज्म के साथ ही हेल्थ टूरिज्म को बढ़ावा देने की योजना है। हरिद्वार में हर की पौड़ी पर होने वाली गंगा आरती भी लंबे समय से उस स्वरूप में नहीं हो पा रही है। 104 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब गंगा आरती में भीड़ नहीं है।

गया तीर्थ दो कारणों से दुनिया के नक्शे पर महत्वपूर्ण माना जाता है। एक तो यहां पिंडदान और श्राद्धकर्म होता है। दूसरा, गया ही भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त होने वाली भूमि है। बोधगया क्षेत्र को लेकर बौद्ध भिक्षुओं में काफी आस्था है।
  • गयाः गयासुर ना जाग जाए इसलिए खुद पंडे कर रहे पिंडदान

गया (बिहार) में पिंडदान और तर्पण का महत्व है। कहते हैं गया में जिसका पिंडदान हो, उसे मोक्ष मिल जाता है। राक्षस गयासुर को भगवान विष्णु ने यहां मारा था, उसी गयासुर के नाम पर गया इस शहर का नाम है। यहां मान्यता है कि अगर रोज पिंडदान और तर्पण ना हो तो गयासुर जाग जाएगा। फिलहाल, लोग आ नहीं रहे हैं तो पंडे पुजारी ही रोज अपने यजमानों की ओर से पिंडदान कर रहे हैं। यहां सैंकड़ों परिवारों का मुख्यकाम फल्गु नदी के किनारे गया तीर्थ में पिंडदान कराना ही है। लेकिन, इस समय गया कुंड से विष्णु मंदिर तक सन्नाटा ही है।

  • उज्जैनः मंदिर बंद, घाट सूने, कर्मकांड मंत्रों की आवाजें शांत

मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कहे जाने वाले उज्जैन में ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के अलावा मंगलनाथ में मंगलदोष की शांति और कालसर्प, पितृदोष की शांति जैसे अनुष्ठानों के लिए देशभर से लोग आते हैं। पिछले दो महीनों से यहां शिप्रा नदी के घाट सूने हैं। 5000 से ज्यादा पंडे-पुजारियों और कर्मकांड से जुड़े अन्य लोगों को घर बैठना पड़ रहा है। हालांकि, अभी यहां आर्थिक स्थिति उतनी विकट नहीं है। लेकिन, लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें जरूर हैं। क्योंकि, लॉकडाउन खुलने के बाद भी स्थिति काफी समय तक ऐसी ही रहनी है।

तिरुपति ट्रस्ट पोस्ट लॉकडाउन की तैयारियों में लगा है। मंदिर ट्रस्ट दर्शन की सुगम व्यवस्था पर विचार कर रहा है। लॉकडाउन के पहले 80 हजार से एक लाख लोग रोज दर्शन के लिए आते थे। लेकिन, अब ट्रस्ट इस संख्या को 25 हजार प्रतिदिन करने पर विचार कर रहा है।
  • आंध्रप्रदेशः लॉकडाउन खुलने की आस में तैयारी

आंध्र प्रदेश में कालहस्ती, तिरुपति सहित कई बड़े मंदिर हैं। लॉकडाउन 4.0 की घोषणा के बाद मंदिर 31 मई तक के लिए बंद हैं। लॉकडाउन के कारण तिरुपति को 400 करोड़ से अधिक के दान का नुकसान हो चुका है। मंदिर अपने दूसरे फंड से खर्चों को मैनेज कर रहा है। यहां करीब 21 हजार कर्मचारी हैं।

तिरुपति मंदिर में लॉकडाउन खुलने के बाद ही तैयारी शुरू

मंदिर 31 मई को चौथे लॉकडाउन के खत्म होने के साथ ही खुलने की उम्मीद में तैयारियां कर रहा है। यहां दर्शन की रिहर्सल मंदिर के कर्मचारियों के साथ ही करने की तैयारी भी की जा रही है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् ट्रस्ट के चेयरमैन वायएस सुब्बारेड्डी के मुताबिक जब भी मंदिर में दर्शन चालू होंगे, तब सोशल डिस्टेंसिंग और हाइजिन का पूरा ध्यान रखा जाएगा। मंदिर में एकसाथ ज्यादा श्रद्धालु ना आएं, इसकी व्यवस्था की जाएगी।

12 ज्योतिर्लिंगों में से एक नासिक में गोदावरी के किनारे बने त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भी इस समय सन्नाटा पसरा हुआ है। पुजारी नित्य पूजा करते हैं। यहां कालसर्प दोष और पितृदोष की शांति के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं।
  • नासिकः कालसर्प की शांति के लिए नहीं आ पा रहे लोग

महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी का किनारा, त्र्यंबकेश्वर का मंदिर कालसर्प दोष की शांति के लिए सबसे श्रेष्ठ स्थान माना जाता है। देश-दुनिया से यहां हजारों लोग रोज आते हैं। सैंकड़ों परिवारों की आमदानी का आधार गोदावरी के घाटों और मंदिर में पूजन कराना ही है। लॉकडाउन में अभी सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग आ नहीं रहे।

सक्षम पुजारी परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक है लेकिन कई परिवार ऐसे भी हैं जो तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। इनमें खासतौर पर वे परिवार शामिल हैं जो मंदिर के आसपास पूजा और अन्य आवश्यक सामग्रियां बेचते हैं।



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One time worship in 8000 temples of Tamil Nadu, temples open in Uttarakhand but income closed


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