दुनियाभर के कई देश लॉकडाउन हटाने या नियम आसान करनेजा रहे हैं। शुरुआत स्कूलों से हुई है। सबसे पहले चीन ने प्राइमरी स्कूल शुरू किए थे। अब तक एक दर्जन से ज्यादा देशों ने स्कूलों के दरवाजे खोल दिए हैं। इनमें अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, द.कोरिया, नीदरलैंड्स, डेनमार्क, स्विटजरलैंड, फिनलैंड, नॉर्वे और ग्रीस शामिल हैं।
चीन में तो करीब 10 करोड़ बच्चे स्कूलों में लौट आए हैं। देश के शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह कुल छात्रों के 40% हैं। सभी देशों में बच्चों को कोरोना से सुरक्षा देने के लिए एहितायत बरतने के साथ नए तरीके भी अपनाए जा रहे हैं।
बच्चों की रोजाना स्क्रीनिंग, हफ्ते में दो बार टेस्ट
अमेरिका के मोंटाना में खुले विलो क्रीक स्कूल में एंट्री के समय बच्चों और स्टाफ का तापमान जांचते हैं। बीजिंग और शंघाई के स्कूलों में थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य है। जर्मनी के न्यूस्ट्रेलिट्ज में हफ्ते में दो बार टेस्ट होता है। वुहान में बच्चों को स्वाब के नमूने देना पड़ते हैं। हाथ सैनिटाइज करना जरूरी है।
वाइजर कैप और मास्क बिना स्कूलों में एंट्री नहीं
फ्रांस के स्कूलों में 11 साल के बच्चों को मास्क लगाकर आने की ही अनुमति है। इससे बड़े बच्चों को वाइजर कैप (पारदर्शी स्क्रीन लगी टोपी) लगाकर स्कूल आना अनिवार्य है। चीन में खाने और जिम क्लास के अलावा मास्क उतारना मना है। निश्चित अंतराल पर हाथ धाना जरूरी है। कुछ स्कूलों में स्टाफ और बच्चों को ग्लव्स पहनने को भी कहा जा रहा है।
हफ्ते में एक ही दिन स्कूल, पार्क में क्लास
ऑस्ट्रेलिया में हफ्ते में एक ही दिन स्कूल आने का नियम रखा गया है, बाकी दिन घर पर ही पढ़ाई करनी होगी। सोशल डिस्टेंसिंग के लिए डेनमार्क के स्कूल क्लास पार्क में लगा रहे हैं, क्योंकि खचाखच भरी क्लास में यह संभव नहीं है।
पार्टिशन के जरिए सोशल डिस्टेंसिंग बरत रहे
ताइवान और नीदरलैंड्स के स्कूलों में प्लास्टिक स्क्रीन से पार्टिशन किया गया है। लंच के दौरान भी बच्चों को दूर बैठाया जाता है। या प्लास्टिक शीट से दूरी रखी जाती है। खेल के मैदानों में भी बच्चों में दूरी रखने के लिए पेंट से जगह तय कर दी गई है।
अभिवादन के नए तरीके सीख रहे बच्चे
फिनलैंड में बच्चों को हाथ मिलाने और गले मिलने की मनाही है। अभिवादन के नए तरीके सिखाए जा रहे हैं। जैसे एयर हग (गले मिलने का अभिनय) एल्बो बम्प या फिर सिर्फ हैलो कहने की सलाह दी जा रही है।
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