कर्नाटक के शिवमोगा जिले में सिदापुर तालुक में मौजूद है देश का तीसरा सबसे ऊंचा जोग वॉटरफॉल। इसकी उंचाई 833 फीट है यहां पर एक साथ 4 झरने गिरते है, जिनके नाम राजा, रानी, रोरर और रॉकेट है। देश के सबसे ऊंचे वॉटरफॉल में पहले नंबर पर मेघालय का नोहकालिकाई है, इसकी ऊंचाई 1115 फीट है। दूसरे नंबर पर गोवा का दूध सागर वॉटरफॉल है, इसकी ऊंचाई 1049 फीट है।
हमेशा पर्यटकों से गुलजार रहने वाला जोग वॉटरफॉल इस बार सूना पड़ा हुआ है। यहां के टिकट टेकर प्रभाकर बताते हैं कि पिछले साल जून-जुलाई के महीने में रोजाना 4 से 5 हजार तक पर्यटक आते थे, लेकिन कोरोना के चलते अब यहां दिनभर में 150 से 200 टूरिस्ट ही पहुंच रहे हैं। इनमें ज्यादातर लोकल टूरिस्ट ही हैं। महामारी को ध्यान में रखते हुए यहां भी कुछ बदलाव किए गए हैं। गेट के बाहर सफेद गोले बनाए हैं, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे। पर्यटकों को गेट पर थर्मल जांच और हैंड सैनिटाइजेशन के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है।
यहां मौजूद 18 दुकानों की रोजी-रोटी अब राम भरोसे
अनुषा रेस्त्रां की ललिता बताती हैं कि यहां जून से लेकर जनवरी तक पर्यटकों की भरमार रहती है, लेकिन इस बार सब भगवान के भरोसे ही है। कोविड-19 के चलते इस बार तो दुकान का किराया भी निकल जाए तो बड़ी बात है। यहां कुल 18 दुकानें हैं, इनमें पांच दुकानें फोटोग्राफर्स की हैं। फोटोग्राफर अंजू बताते हैं कि पहले इस सीजन में रोजाना करीब 100 फोटोज क्लिक कर लेता था लेकिन अभी दिनभर में 5-6 क्लिक हो जाएं, तो बड़ी बात है।
लिंगनमक्की डैम के पूरा भर जाने के बाद जोग वॉटरफॉल का नजारा देखने लायक होता है। अभी डैम करीब 85 फीट खाली है। इसके पूरा भर जाने के बाद अतिरिक्त पानी बहकर जोग वॉटरफॉल में आता है, वहां से ये पानी गेरसोप्पा डैम में चला जाता है। इस डैम के भर जाने के बाद सारा वेस्ट वॉटर समुद्र में मिल जाता है।
जल विद्युत परियोजना से 1035 मेगावॉट बिजली पैदा होती है
जोग वॉटरफॉल के पास जल बिजली परियोजना भी है। इसमें शरावती विद्युत गृह, गेरसोप्पा जल विद्युत परियोजना और लिंगनमक्की जल विद्युत परियोजना शामिल हैं। इन सभी प्रोजेक्ट से 1035 मेगावॉट बिजली पैदा होती है।
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