चीन के सबसे बड़े रिसर्च सेंटर द इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी सेफ्टी टेक्नोलॉजी (आईनेस्ट) से गुरुवार को 90 परमाणु वैज्ञानिकों ने इस्तीफा दे दिया है। करीब 500 सदस्यों के साथ काम कर रही इस संस्था में पिछले साल 200 वैज्ञानिकों के इस्तीफे के बाद यहां 100 से भी कम लोग रह गए हैं। हालात ये है कि इसका संचालन भी बड़ी मुश्किल से हो पा रहा है।
वैज्ञानिकों के इस्तीफे के कई कारण बताए जा रहे हैं, लेकिन सबसे प्रमुख आरोप यह है कि चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी इस संस्थान पर पूर्ण रूप से कब्जा कर दबावपूर्वक काम करवाना चाहती है। जून में आईनेस्ट में काम करने वाले लोगों का अपनी ही पेरेंटिंग संस्था से विवाद हुआ था। इसके अलावा यहां वैज्ञानिकों को न तो जरूरी संसाधन और सुविधाएं दी जा रही हैं और न ही काम को लेकर फ्री हैंड।
फंड की कमी के चलते बड़े प्रोजेक्ट नहीं मिल रहे
दरअसल, आईनेस्ट हेफी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल साइंस के निर्देश पर काम करता है। इसे चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस के नाम से भी जाना जाता है। आईनेस्ट चीन के उन महत्वपूर्ण संस्थानों में से एक है, जो अब तक 200 से ज्यादा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स में हिस्सा ले चुका है। इनमें 80% शोधकर्ता पीएचडी धारक हैं।
सूत्रों का कहना है कि आईनेस्ट फंड की कमी के चलते बड़े प्रोजेक्ट हासिल नहीं कर पा रहा था, वहीं शोधकर्ताओं पर प्राइवेट कंपनियों की भी नजर थी।
चीन के पास 300 से ज्यादा परमाणु हथियार
चीन ने 1950 में परमाणु कार्यक्रम शुरू किया था। उसके पास अभी 300 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। उसकी विस्तारवादी नीति के खिलाफ अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देश एकजुट होकर चुनौती पेश कर रहे हैं। ऐसे में हमले की स्थिति में चीन के राष्ट्रपति के पास एटमी हमले के आदेश देने का अधिकार भी नहीं है।
ये अधिकार अभी पार्टी के पोलित ब्यूरो के पास है। चीन के कई थिंक टैंक मानते हैं कि शी जिनपिंग दो मोर्चों पर लड़ रहे हैं। देश के अंदर और देश के बाहर। विश्वमंच के खिलाफ मोर्चा लेने के लिए वे देश के अंदर भी अपनी सीमाओं का अतिक्रमण कर बैठते हैं। यह इस्तीफा इस तरह के दबाव का ही नतीजा है।
चीन बने विज्ञान का पावरहाउस इसलिए 16 हजार वैज्ञानिकों ने छोड़ा था यूएस
चीन में सरकार की अपील पर पिछले साल अमेरिका और यूरोप में काम कर रहे 16 हजार से ज्यादा वैज्ञानिक चीन लौट आए थे, ताकि वे देश को विज्ञान का पावरहाउस बना सकें। इन वैज्ञानिकों को सरकार ने भरोसा दिलाया था कि उन्हें वे सारी मूलभूत सुविधाएं दी जाएंगी, जो विदेशों में मिलती हैं। लेकिन, यहां आने के बाद उनका यह भ्रम टूट गया। आईनेस्ट के वैज्ञानिकों की इतनी बड़ी संख्या में इस्तीफे की वजह भी यही मानी जा रही है।
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