कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्थाओं के सभी क्षेत्रों और दिग्गजों को हिलाकर और उनकी आँखें खोलकर रख दी है। और तो और, इसने पूरी दुनिया के समक्ष एक बुनियादी प्रश्न खड़ा कर दिया है। वो यह कि बीमा कंपनियों को जोखिम को कवर करने और ग्राहकों के लिए हमेशा खड़े रहना चाहिए। अब बीमा कंपनियां एक ऐसा पूल बनाना चाह रही हैं, जिसके जरिए इस तरह की महामारी के दौरान वित्तीय समस्याओं से निपटा जा सके।
पॉलिसीधारकों को बेहतर तरीके से सुरक्षित रखने की चुनौती
इस महामारी ने बीमा कंपनियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वे पॉलिसीधारकों को बेहतर तरीके से सुरक्षित रखने के लिए और क्या कर सकते हैं? कोविड-19 के उपचार खर्चों को कवर करने वाली स्वास्थ्य क्षतिपूर्ति पॉलिसी (health indemnity policies) के अलावा, कोई भी बीमा प्रोडक्ट उन राहत की पेशकश नहीं कर सकता है जो ग्राहकों को इस चुनौतीपूर्ण समय का सामना करने के लिए आवश्यक हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर 26 अरब डॉलर के असर का अनुमान
क्रिसिल की मई 2020 की रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था पर 26 अरब डॉलर के असर का अनुमान लगाया गया है। इससे पता चलता है कि कैसे महामारी ने हमारी अर्थव्यवस्था को बहुत पीछे धकेल दिया है। इसने हमारे आयात और निर्यात को प्रभावित किया है। हमारे देश में बेरोजगारी अप्रैल 2020 में 26 प्रतिशत बढ़ गई। अधिकांश कारखानों, संस्थानों, बिजनेस प्रतिष्ठानों, निर्माण स्थलों आदि को लॉकडाउन अवधि के दौरान बंद करना पड़ा, जिससे प्रवासी मजदूरों को अपने घर वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इस तरह की आपात स्थितियों से क्या सीखा गया
इसके अतिरिक्त, कई कंपनियां लॉक डाउन के प्रभाव को नहीं झेल पाईं। इससे लोगों को अपनी नौकरी खोनी पड़ी और अभी भी खोना पड़ रहा है। इस महामारी ने हमें उन समस्याओं और खामियों की पहचान करने में मदद की है जिन पर आगे काम करने की जरूरत है। अब सवाल यह है कि हम इस तरह की आपात स्थितियों से क्या सीख सकते हैं? क्या हमारे पास ऐसा समाधान है जो हमें इससे तेजी से रिकवरी करने में मदद कर सकता है? क्या लॉक डाउन में नौकरी खो देने के बाद भी हम बिजनेस में या आमदनी में हुई कमी की आर्थिक भरपाई कर सकते हैं ? क्या इस तरह की महामारी के खिलाफ बड़े पैमाने पर व्यक्तियों, परिवारों, व्यवसायों, अर्थव्यवस्थाओं और समाज के बीच कोई सेतु बनाने का कोई तरीका हो सकता है?
इसका जवाब अब हां में है। निश्चित रूप से बीमा कंपनियां अब पूल बनाकर बेहतर तरीके से तैयार हो सकती हैं जब हमें भविष्य में ऐसी स्थिति का सामना करना पड़े।
महामारी पूल (pandemic pool) क्या है ?
बीमा कंपनियां फंड का पूल बनाकर अर्थात फंड जुटाकर इससे एक इमरजेंसी प्रोग्राम तैयार कर सकती हैं जिससे किसी भी महामारी से होने वाले नुकसान के कारण अधिकांश को कवर मिल जाये। आइए देखें कि बीमा कंपनियां इस विचार को कैसे पूरा कर सकती हैं। आज कोई भी व्यावसायिक रुकावट नीति, जिसे स्टैंडर्ड प्रॉपर पालिसी के साथ खरीदा जाता है, उसमें महामारी से लगने वाले लॉकडाउन और इसके कारण होने वाले नुकसान को कवर नहीं किया जाता है।
अनिवार्य ऐड ऑन कवर का होगा निर्माण
कॉर्पोरेट्स के लिए प्रॉपर्टी पॉलिसीज के साथ-साथ एक अनिवार्य ऐड-ऑन कवर के रूप में महामारी कवर बीमा कंपनियां बना सकती हैं। सरकार द्वारा महामारी के कारण लॉकडाउन की घोषणा करने के तुरंत बाद यह कवर शुरू हो जाएगा। इस ऐडऑन के तहत, लॉकडाउन के कारण कॉरपोरेट्स के विभिन्न स्टैंडिंग चार्जेज जैसे कर्मचारी वेतन, परिसर का किराया आदि को कवर किया जा सकता है। यह लॉकडाउन के शुरुआती 2-3 महीनों के लिए अधिकतम क्षतिपूर्ति कवर हो सकता है।
सभी तरह की दिक्कतों के लिए मिलेगा साधन
वेतन में कटौती, छंटनी, व्यापार में घाटे से उबरने में मदद मिलेगी और कंपनियों को महामारी के प्रभाव से रिकवर होने का एक टूल मिलेगा। रिटेल बेसिस पर, व्यक्ति इसे अपने होम इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ-साथ ऐड-ऑन कवर के रूप में खरीद सकते हैं। यह अनिवार्य नहीं होगा और यह एक ग्राहक के ऊपर होगा कि वे इसका विकल्प चुनते हैं या नहीं। नौकरी खो जाने या किसी विशेष परिस्थितियों में इस ऐड-ऑन के तहत शुरुआती 2-3 महीनों के लिए अपने होम लोन के लिए ग्राहक को मासिक ईएमआई का भुगतान बीमा कंपनी कर सकती है।
इस पूल की फंडिंग पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए की जा सकती है
लॉकडाउन अवधि के दौरान अपने होम लोन का ख्याल रखकर किसी व्यक्ति पर वित्तीय बोझ को कम किया जा सकता है। इस पूल की फंडिंग पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए की जा सकती है जिसमें सरकार और कंपनियां दोनों ही इस पूल में योगदान दे सकते हैं। सभी कंपनियों के लिए सीएसआर कंपोनेंट से इस पूल में योगदान करने पर विचार किया जा सकता है। इसलिए उन्हें इसे एक अलग खर्च के रूप में देखने की जरूरत नहीं होगी। इस तरह एक अच्छा खासा पूल बना सकते हैं।
सीएसआर फंड से कॉर्पोरेट कर सकते हैं मदद
कॉर्पोरेट अपनी प्रॉपर्टी पॉलिसी के एक हिस्से के रूप में महामारी ऐड-ऑन कवर के लिए भुगतान करने वाले प्रीमियम को अपने सीएसआर फंड से दे सकते हैं। इसलिए इस महामारी कवर के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम का कंपनी पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ता है। बीमा कंपनियां reinsurance support की भी तलाश कर सकती हैं जो उन विशिष्ट कॉर्पोरेट के लिए हो सकता है जो लाइबिलिटी की लंबी अवधि का विकल्प चुनना चाहते हैं। यानी 3 महीने से अधिक।
महामारी पूल शुरुआती 2-3 महीनों के लिए कवर देगा
उदाहरण के लिए महामारी पूल लॉकडाउन के शुरुआती 2-3 महीनों के लिए कवर प्रदान कर सकता है। इसमें जनरल इंश्योरेंस कंपनियां भी योगदान दे सकती हैं जैसा कि वे आतंकवाद/परमाणु पूल के मामले में करती हैं। एक बार जब पूल फंड काफी मजबूत हो जाते हैं तो सरकार धीरे-धीरे पूल में अपना योगदान कम कर सकती है और महामारी के प्रसार को कम करने की दिशा में अपना ध्यान केंद्रित कर सकती है।
संकट से मिलती है सीख
संकट में हमेशा एक सीख छिपी होती है और कोई ऐसा संकट फिर से दोहराया जाता है तो ऐसी सूरत में मौजूदा संकट लोगों को मजबूत बनने का अवसर प्रदान करता है। महामारी पूल भी एक ऐसी ही सीख है, जो हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे समाज को पतन से बचाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। इस महामारी पूल के माध्यम से हमारी अर्थव्यवस्था को कोई नुकसान पहुंचाए बिना किसी भी महामारी का डंट कर सामना किया जा सकता है।
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