शनिवार, 16 मई 2020

लॉकडाउन के कारण बिना भक्तों के मनेगा शनि जन्मोत्सव, शिंगणापुर में एक पुजारी ही करेगा आरती

22 मई को शनि जयंती है। नेशनल लॉकडाउन के चलते इस साल चैत्र नवरात्र, रामनवमी, हनुमान जयंती और बुद्ध पूर्णिमा के बाद शनि जयंती का उत्सव भी फीका ही रहने वाला है। देश के सबसे प्राचीन शनि मंदिर में इस साल शनि जयंती की धूम नहीं रहेगी। हजारों श्रद्धालु अभिषेक के लिए शनि जयंती पर आते यहां हैं, लेकिन इस साल नेशनल लॉकडॉउन के चलते यहां केवल एक ही पुजारी शनि जयंती पर भगवान की आरती-पूजा करेंगे।

श्री शनैश्वर देवस्थानम् शिंगणापुर ट्रस्ट शनि जयंती की तैयारियों में जुटा है। अभिषेक-पूजन और शनि जन्मोत्सव की सारी परंपराएं हर साल की तरह ही रहेंगी। लेकिन, बस आम श्रद्धालुओं का हुजूम यहां नहीं होगा। ट्रस्ट के जनसंपर्क अधिकारी अनिल धरंडले के मुताबिक 2019 में करीब दो लाख लोग शनि जयंती पर यहां आए थे। इस साल तो इससे भी अधिक लोगों के आने की उम्मीद थी। लॉकडाउन और कोरोना वायरस के चलते इस साल यहां कोई बड़ा उत्सव नहीं होगा। केवल एक पुजारी ही भगवान की आरती-पूजन करेगा। यहीपरंपरा भी है।

  • दिन भर होंगे अलग-अलग अभिषेक पूजन

शनि जयंती पर दिनभर अलग-अलग तरह से अभिषेक पूजन के साथ कई तरह के आयोजन होते हैं। सुबह 4 बजे कांकड़ आरती के साथ शनि देव का जन्मोत्सव शुरू होगा। दिनभर पंडे-पुजारी मंत्र जाप और तेलाभिषेक होगा। सारे उत्सवों में सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के नियमों का पूरा पालन किया जाएगा। इसके लिए ट्रस्ट उसी तरह से योजना बना रही है। सुबह 4 बजे शुरू होने वाला उत्सव रात 11 तक चलता रहेगा।

शिंगणापुर में शनिदेव की प्रतिमा स्वयंभू मानी जाती है। इस इलाके के राजा शनिदेव ही माने जाते हैं, इस कारण आज भी शिंगणापुर के घरों में दरवाजे और ताले दोनों ही लगाने की परंपरा नहीं है।
  • सबसे अलग है मंदिर की परंपराएं

शनैश्चर मंदिर शिंगणापुर की परंपराएं अन्य मंदिरों से बिलकुल अलग है। यहां मंदिर 24 घंटे खुला रहता है। शनि देव की प्रतिमा भी खुले आसमान के नीचे है। श्रद्धालुओं के लिए इस मंदिर से सहज और कम खर्च वाला कोई मंदिर नहीं है। यहां ना तो कोई पूजा करना अनिवार्य है, ना ही कोई चढ़ावा अनिवार्य है। यहां श्रद्धालुओं को किसी तरह की पूजा के लिए कोई दबाव नहीं है। इसलिए, मंदिर में पुजारियों की संख्या भी बहुत कम है। ये एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां आज भी चोरियां नहीं होती हैं। इस कारण यहां श्रद्धालुओं के सामान गुमने या चोरी होने जैसी कोई शिकायत आज तक नहीं आई। 100 रुपए में रहने के लिए कमरा और 10 रुपए भरपेट भोजन मिलता है।

  • महिलाओं को नहीं थी तेल चढ़ाने की अनुमति

400 साल से ज्यादा पुराने इस मंदिर में महिलाओं को भगवान शनि की पूजा की अनुमति नहीं थी। महिलाएं दूर से ही दर्शन करती थीं। 2016 में कोर्ट के फैसले के बाद यहां महिलाओं को शनिदेव को तेल चढ़ाने और पूजा करने की अनुमति मिल गई। ट्रस्ट में भी किसी महिला को नियुक्त नहीं किया जाता था। 2016 में पहली बार महिलाओं को ट्रस्ट में स्थान दिया गया।



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A priest will perform Aarti in Shinganapur to observe Shani birth anniversary without devotees due to lockdown


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