सोमवार, 18 मई 2020

महिला रेसलिंग में इकलौता ओलिंपिक मेडल जीतने वाली साक्षी देशी तरीके से तैयारी कर रहीं, कहा- अभी आउटडोर ट्रेनिंग की मांग करना सही नहीं

महिला रेसलिंग में देश को इकलौता ओलिंपिक मेडल दिलाने वाली साक्षी मलिक की टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों पर लॉकडाउन की वजह से असर पड़ा है। उन्हें घर में ही प्रैक्टिस करनी पड़ रही है। इस वजह से वे देशी तरीके से तैयारी कर रही हैं। दमखम बढ़ाने के लिए वे घर के पीछे बने अखाड़े को लकड़ी की मेज से समतल कर रही हैं। प्रैक्टिस पर असर न पड़े, इसलिए उन्होंने पति को ही अपना रेसलिंग पार्टनर बना रखा है।

साक्षी ने 2016 के रियो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीता था। टोक्यो ओलिंपिक की तैयारी और लॉकडाउन के दौरान प्रैक्टिस को लेकर साक्षी ने भास्कर से बात की...

  • लॉकडाउन के कारण ट्रेनिंग कैम्प नहीं लगे हैं? ऐसे में आप किस तरह से प्रैक्टिस कर रही हैं?

साक्षी: अभी हम आउटडोर प्रैक्टिस नहीं कर सकते। रेसलिंग टूर्नामेंट और ट्रेनिंग कैम्प भी बंद हैं। ऐसे में सिर्फ फिटनेस पर ही ध्यान दे पा रही हूं। पार्टनर नहीं होने की वजह से दांव-पेंच आजमाने का मौका कम ही मिल रहा है। इसलिए इस वक्त का इस्तेमाल अपनी स्ट्रेंथ और स्टेमिना बढ़ाने के लिए कर रही हूं।

साक्षी ने पतिसत्यव्रत कादियान को ही अपना रेसलिंग पार्टनर बना रखा है।
  • आपके पति भी पहलवान हैं, ऐसे में उनसे कितनी मदद मिल पा रही है?

साक्षी: मेरे पति सत्यव्रत कादियान सुपर हैवीवेट पहलवान हैं। वे कॉमनवेल्थ गेम्स में देश के लिए मेडल जीत चुके हैं। कॉन्टैक्ट स्पोर्ट्स (जिसमें साथी खिलाड़ी की जरूरत होती है) होने की वजह से कुश्ती में पाटर्नर जरूरी है। ऐसे में मेरी प्रैक्टिस ज्यादा प्रभावित न हो, इसलिए पति कभी-कभी ट्रेनिंग में पार्टनर बनकर मदद करते हैं। हालांकि, उनका वेट मेरे से काफी ज्यादा है। ऐसे में उनके साथ रेगुलर प्रैक्टिस नहीं करती हूं, लेकिन खेल की तकनीक को लेकर जरूर उनसे बात करती हूं।

  • स्ट्रेंथ और स्टेमिना बढ़ाने के लिए क्या तरीके अपना रही हैं?

साक्षी: हरियाणा में मेरे घर के पीछे ही अखाड़ा है। यहां काफी जगह है। स्ट्रेंथ और स्टेमिना बढ़ाने के लिए रनिंग के साथ ही अखाड़े की मिट्टीको लकड़ी की मेज से समतल करती हूं। इससे न सिर्फ मिट्टी समतल हो जातीहै, बल्कि शारीरिक दमखम बढ़ाने में भी मदद मिल रही है। मिट्टी पर कुश्ती लड़ने वाले पहलवान आज भी इसी देशी स्टाइल का इस्तेमाल करके खुद को मजबूत बनाते हैं। अखाड़े में पहले से ही वेट ट्रेनिंग का कुछ सामान रखा है। जैसे डंबल, पावर प्लेट। इनकी मदद से वेट ट्रेनिंग भी हो जाती है।

  • अब ओलिंपिक स्पोर्ट्स से जुड़े खिलाड़ी आउटडोर ट्रेनिंग की मांग कर रहे हैं। इस पर आपका क्या कहना है?

साक्षी: मेरा मानना है कि हेल्थ सबसे जरूरी है। ऐसा नहीं है कि आउटडोर ट्रेनिंग केवल भारतीय खिलाड़ी ही नहीं कर पा रहे हैं। पूरी दुनिया के खिलाड़ी भी इससे परेशान हैं। पूरी दुनिया में ही लॉकडाउन है। ओलिंपिक भी एक साल के लिए टाल दिया गया है। ऐसे में ज्यादा दबाव नहीं है। अगर खिलाड़ी इकठ्ठा हुए और किसी को कोरोना का संक्रमण हुआ तो नुकसान खिलाड़ियों को होगा। इसलिए हेल्थ पर ध्यान देना जरूरी है। अभी आउटडोर ट्रेनिंग की मांग करना सही नहीं है।

साक्षी ने 2016 के रियो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीता था।
  • आपको लगता है कि ओलिंपिक क्वालिफाइंग टूर्नामेंट के लिए दोबारा ट्रायल होना चाहिए?

साक्षी: मेरा मानना है कि ओलिंपिक क्वालिफाइंग टूर्नामेंट के लिए जो ट्रायल हुए थे, उसमें काफी दिन बीत गए हैं। ऐसे में जब ओलिंपिक क्वालिफाइंग टूर्नामेंट की नई तारीख का ऐलान होगा, तो टीम चयन की प्रक्रिया फिर से करनी होगी। कुश्ती फेडरेशन का रूल भी है, अगर एक से दूसरे टूर्नामेंट के बीच 2 से 3 महीने का गैप होता है तो उसके लिए ट्रायल कराने होते हैं। मुझे विश्वास है कि ट्रायल होगा और मैं उसी को ध्यान में रखकर प्रैक्टिस कर रही हूं।

  • आप दो बार ट्रायल में सोनम मलिक से हार गईं। इसे कैसे लैती हैं?

साक्षी: दोनों ट्रायल मुकाबले में सोनम आखिरी पॉइंट हासिल कर जीती हैं। मैं शुरुआत से आखिर तक अंकों के आधार पर उनसे आगे थी। लेकिन मानसिक दबाव के कारण बिखर गई। मैच के बीच में ही सोचने लगी थी कि मेरे से कहीं गलती न हो, इसी कारण से मुझे हार का सामना करना पड़ा। अब मैं इस पर ध्यान दे रहा हूं कि पूरे मैच में फोकस रख सकूं। मेरा आत्मविश्वास न डगमगाए, इसे लेकर काम कर रही हूं। मानसिक रूप से फिट रहने के लिए अभी मोटिवेशनल बुक 'सीक्रेट द पावर' पढ़ रही हूं। साथ ही मेडिटेशन भी कर रही हूं।

  • 2021 ओलिंपिक के बाद आप कुश्ती को अलविदा कह देंगी या खेलती रहेंगी?

साक्षी: मैंने अभी इस बारे में नहीं सोचा है। जब मुझे यह महसूस होगा कि मैं कुश्ती पर पूरा फोकस नहीं कर पा रही हूं। तब मैं इसे छोड़ दूंगी। लेकिन फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है। हार-जीत चलती रहती है। हो सकता है कि मैं ट्रायल में हार जाऊं, लेकिन एक हार मेरा कुश्ती करियर डिसाइड नहीं करेगी। ऐसा नहीं है कि ओलिंपिक क्वालिफाई नहीं करने पर कुश्ती को अलविदा कह दूंगी।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Sakshi, who won the only Olympic medal in women's wrestling, is preparing in a native way, said - it is not right to demand outdoor training right now


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2zMm3G9
https://ift.tt/2Thwl7Q

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubt, please let me know.

Popular Post